बौआ आ बहुरिया के किताब

थरुहटके बउया आ बहुरिया

लेखक राम प्रसाद राय थारु

     आदरनियः-

आदरनिय बुरह पुरनिया आ जुआनसब आ सोट भाइ बहिनसब अपनेसबके सेबामे थरुहटके बऊआ आ बहुरिया नामके तनिचुक पोथी हम समरपन करइत बारी यिहे सम्बत १००० सालसे आजु तकलेके थारु बउआ अउर बहुरियाके रहन सहनके आ चाल चलनके साथ साथे संसकिरती आ गुन अबगुन परहल आ अनपरहके तनिमनी बरन्न यि किताबमे लिखल बा ।

यिमे मनगरन्त कथा पतुतर भेला पर भी अधिकतर इतिहासिक झलक देखाइ दी । यि पोथियामे पाँचगो गितके पद बा । हम, न कबी बारी,न बेसी परहल लिखल बारी,सिरिफ तनिमनी गित गाए बला अदमी बारी । यि बात भी अपने सबसे सिपल नइखे । यिहे सब कारनसे पोथिमे टुरुटी होसकले हमर अनुमान बा की,पबितरता आभुसन चलि-चलन आउर बिध्या बिकास आदिमे सुधार करेके वास्ते पबितर भावना जगा देबे खातिर यि पोथीया थरुहटमे जरुर मदत आ सहेता पहुचाइ । यिहे बात हम अपन मनमे ठानके अपनेसबके सेबामे यि पोथी समरपन करेके बास्ते ढिठाइ कररहल बारी ।

          रस्ता आ पेरा न भेला पर दुनियामे पाँचे-सात कोसमे बोली बदल जालै फिरभी समुचा थरुहटके लोगके यि पोथीया लिखल बोली आ बातसबके बहुत कुस बुझ जाइ नेपालके बरा जिल्लाके थारुहटिया बोलीमे यि पोथी लिखल गेल बा ।

         यि पोथीके अधारपर अपने सुन्दर नाटक कर सकैत बारी । परदरसित नाटकमे अगर पोथीके परिपुरन भाव अपने देख सकब तब त हमर मेहनत बिलकुल सारथक होजाइ । खएर अपनेसबके जइसन मरजी होए परह सकिले आ नाटकके रुपमे भी परदरसन कर सकिले । ( विनित लेख) ।

बउआ आ बहुरिया

हमनिके मतार पितियाइन आ बुरह पुरनियासब बोरसीके लगे बइठ करके बात उचारलख कि बउआ चोकटके बहुरियासङे सुते बास्ते एगो घर खाली कर देबेके चाही ।

   बउआके मतार चटसिन बोल उठल कि अभि त लइकाके गत न पत भेल बा अभी कथिके हरबरी है । कहुँ बउआ अन्हार रातमे रोए लागी तब ? यि बात सुनते मातुर बउआके काकी घरघुसनी रिरियाके बोल्लख कि ह ह तोहर बउआ त अभी दुध पिउये जे हव । हमर भर पाँखुर होगेल हव आ बहुरिया इठइठके बुलइत रहइसो सेकर सुधे न हव । ओहिसे त ओकनिके अन्हारमे अलगे नित दिन फासफुस बात करइत रहइसो आ तोहनिसे रुसल -फलल रहइसो । ओहिसे त आब बउआके सुतेकेलेल घर जरुर देबेके चाही । यि बात चित सुनके घोरहिनिया बुरहिया जोर जोरसे हि हियाइत बोल्लख कि, ह ह गे घरघुसनी तु ठिकेन कहैत बारे । बउआके मतारिके बोली हमरो नसुनल जाइत बा । गेहे एकदिन त हमअपन आँखसे देखली कि, बउआ टाटके कोन्चरके आरमे खरा होके टकटकी लगाके बहुरियाके ओरी धनधन देखइत रहलैह तखुनी तु बहुरियाके मुर थकरइत रहली ह ।

       एक दिन त बहुरिया भी गलियारिके भोङमाहे बउआके ओरी एकडिठसे देखइत रहलै ह,तखुनी बउआ बारीमे खरा भेल रहलैह । बतकहीसब सुनके सभे जना एकमुधी होके कहे लगलख कि ह ह बउआके आब कनेयाबाके लगे सुतेके खातिर जरुर बनबस करदेबेके चाही । बउआ चोकटके माइ अनभउती सभेके बात सुनके चुप होगेल । तब थोर देरके बाद बोल्लख कि,अछा एगोबात आरुबा हमर बउआ चोकट रोज रातिखुनी बोसवनेमे हि मुत लेबले से यि मुतेके बान बउआके कइसे सुटी ? बउआके माइके अउसबात सुन्ते मातुर घोरहिनिया बुरहिया हिहियाइत बोल्लख कि मार बरहनी ध के  यि कवन भारी अबगुन है । एके बेरके भेओ मे त सुटिय जतै । घोरहिनिया बुरहिया अनभौतीसे कहलख गेहे, निमन दिनमे बउआके मुर पर पटिया गुटियाके बोकाके साझीखुना ओकर उपर चिराक बारके घरेघरे घुमैहे आ लोगसबसे कहबैहे कि निरभएसे सुतिहा आ बिसौनामे न मुतिहा तबसे तोहर बउआ कहियोन बिसौनामे मुततउ । हम यि बात सतोसत तोहरासे कहैत बारिऔ । भलासे तु यि भेओ कके देखले । तब बउआके मतार अनभौती बोल्लख कि,असा आब सुतहुके चाही काहेकी बहुत रात होचुकल बा । ओहिसे आब तोहनियो सुते जाइजा आ हमहु सुते जाइत बारी । एक बेर बउआके बापसे हम पुसलेइत बारी तब बउआ ला घर खाली कदेबइ । यि बात बोलके बउआके माइ अनभौती सुतना घरमे ढुकगेल ।

                  बउआ चोकटके बाप अदउरी चौधरी निरभेद सुतल रहे । जब बउआके माइ अनभौती अपन पुरुखके चौकिमे जबही एगो लात धरैत बा कि चौकीके पौआ पासी ढिला भेलासे कचर-मचर,चोएचाए अबाज उठे लगलख । एतनेमे बिचरा अदउरी चौधरी  बहुत जोरसे अकचका गेल आ सुतलेमे थरथर काँपे लगलख । आँख मुनले रहे माने आख मलकाबे लेकिन डरके मारे उअपन पुरा आख खोलबे नकरे । आ उ त भितरे भितरे हकर हकर करैत रहे । काहेकी ओकर निनाएल आख भेलासे उअपन मौगि अनभौतिके भी चिन्हे नसकैत रहे । आबत अदउरी बिचरा एकाएक बहुत जोरसे चेहागेल आ बहुत जोरसे चिचियाके कहेलगख कि,हो अबैजा हो,हो अबैजा हो । माने घरपर चिराक धिमिर धिमिर बरैत रहे । अदउरीके हालत देखके बिचारी अनभौती उअपन गोर झटसिन चौकिसे उतार लेलख आ हसते हसते कहे लगलख कि जा तु कैसन डेरपोक बरा इजोतमे त तु एतना डेराइत बरा त अन्हारमे त आरु डेराके काने लगबा । जा तु त रहला खाओ माने आब रजा तोहराके दोहाइ देके बना देलव चौधरी तइओन तुअपन करेज बरियार बनाए सकला । हमर राय खन्दानके लोग त अइसन करैए । अनभौती फेनु खलखल हसैत कहे लगलख कि जेकर बाप अैसन है तेकर बेटा कैसन होतै हे गोसाइ बाबा !

बिचरा अदउरी चौधरीके करेज धिरेधिरे असथिराएल ह,तब अपनाके समहारैत सोचके जबाफ देलख कि,असा असा आब तु चुप रह । हमराके बहुत न सकाव हमहु जानिले कि तु राय घरनाके बाघिन बारु तुउ । असा हम सियारे बारी त कथ्थी हमरे गोरके न तोरा पुजेके परी । कहके चौधरी हहाके हसे लागल आ अइसे कहे लगलख कि,राय,खाओ आ चौधरी केहु केकरोसे कम नइखे माने सभे त थारुय है । लेकिन दुनियामे सभेसे बरका धन है । पचास बिघा खेत,पाचगो बरही आ पनर बिसगो नोकर चाकरके देखके तोहर बाप ददा हमरासे बियाह करादेलौ ह । आब का तु हमरासे बोल्बू कहके चौधरी फेरु ठठा-ठठाके हसे लगलख ।

                 अनभौती उअपन पुरुखके अैसन बात सुनके बोल्लख कि,असा असा आब सोरउक यि बाओन बहतर हमहु एगो राय सल्लाह लेबेके चाहैत बारी कि बउआ चोकट बहुरियाके सङे  सुतेला एगो घर देबेके चाही कि न चाही ? तोहर कैसन बिचार करैत हव । तब अदउरी उअपन मौगी अनभौतिसे कहलख हम का जानी,जान तु आ जाने तोहर बउआ आ बहुरिया । हमरा किसियो मालुम न बा आ तु हमरा कथी कहेके चाहैत बारेसे ओकर अरथ हम बुझे नसकैत बारी । तोहर जैसन बुझाबेसे कर हमरा मन्जुर बा ।

तब अनभौती फेरु बोलल कि जा तु कैसन अदमी बरासे तु किसियोन जनैसा चार लइकाके बाप होगेला मे भी तोरा ग्यान नहव की ? तब अदउरी उअपन जनानिके बात सुनके उतर देलख कि,ह ह तुही सभे बात जनैत बारु हम कहाँ किसियो जानि लेअ जे ? हमअपन दुनु बेटा चोकटा आ भोकटाके सात सात कलासमे परहैली माने चोकट उजियागेल काहेकी उ तरतम्कसुक आ चिठी परहियो लेइए आ लिखियो लेइए लेकिन भोकटा न उजियाए सकलख आ उसे बेसी भी परहाए नसली खैर आब यिहे खेती बारीके काम काज देखी । अदउरी फेनु बोल्लख कि,बेटाके खातिर जे हमराके सुझलसे हम कैली । तु त,तुअपन दुलरी बेटियोसबके न पाठ परहएले बारु । तोहर बेटिसब त फुहरी आ कोरहनी हव देखिहा न खुब बाप मतारके नाओ चलतव । आ उअपन साससे हमनिके सातो पुरखा पुरनियाके गारी सुनबतव से देखिहा । दुनियामे जबतकले जनी न परही तबतकले मरद कहियोन उजियाइ काहेकी जनियके पेटसे मरदके जलम होइए । उअपन मरदके बात वसुनके अनभौती बोल उठल कि असा असा तुअपन बकबास बातसब बन करा,बेटिसब केतनो परहलेतै तैयो ओकरा चुल्हबेके लगे बैठके फु फु करेके परतै । अभि त येनेकारी बेटिके केहु परहैते न बा आ हमर बेटी न परहलख तेसेका हमअपन बेटिके भात भन्सा,मौनी -मुजेला गोबर करसी करेके लुरगुन सिखादेले बारी आ सभे घराइसी काममे पास करादेले बारी हमरा कथी बा तु न झखा तोहर बेटासब नाओ उगाइत हव कि डुबाइत हव ? माने हमर बेटी सभुन गुनसे भरलबा । ओहिसे हमर बेटी जवन घरमे जाइ उ घरके इजोत कदी । आब हमर कवनो बातके हरज नबा कहके अनभौती फेरु बोल्लख कि असा त बेटा के त भला तु परहएला आब अपन हाल न कहाँ कि तु केतना परहले बरा ? एक बेर देखलिओ त कि हमर फेकुवा ददा तोरा कते कुसल सेमके चिठ्ठी भेजले रहलव ह, त तु उ चिठ्ठीके दोसर गाओमे लेजाके परहएला ह तब तु उ चिठ्ठीके बात बुझला ह । आजु तकले यि घुसुकपुर गाओमे दोआद आ करेराके कलमो न मिलैत रहलै ह आउर बात कथी बनाइत बरा ह ।

              अनभौतीके आनके बात सुनके अदउरी बोल उठल कि,हम न परहल बारी त कथी माने हमर थारुके पुरखा पुरनिया बुहुत बिधवानसब रहलै ह । लगभग एक हजार बरिस पहिले सन १० वी सताब्दिमे गोरखपुरके रजा मानसेन राठोर छेतरी त थारुये त रहलै ह । आ ओकर रानी कौलाबती थरुइने रहलै ह । अगर यि बातपर बिस्वास नहोए त गोरखपुरमे जाके देख लेओ कि रजा मानसेनके मानसरोबर आ रानी कौलाबतीके कवल दह आजु तकले हाक पारैत हैइ । सन १९०५ इवि सम्बतमे अँङरेजके लिखल जिल्ला गोरखपुरके गजेटियरमे रजा मानसेन थारु आ ओकर रानी कौलाबती थरुइन बरतामे टुभ-टुभ बोलैत रहलै ह । 

                        अदउरी चौधरी फेनु बोल्लख कि,का कथी बिना परहले रजा भेल रहलै ह की ? दाङके रजा दङगाइ भुसाइ भी थारुये रहलै ह । ओकर महल दाङके गढ धनौरा गाओमे आजुतकले खंडहर हो के भी हाक पारैत है । रजा दङगाइ भुसाइके चलाएल सिक्का (टका) आजु सम्बत १९८९ साल तकले चलतेरहलै ह । परमानके बास्ते उ टका पैसा गढ धनौरामे टालके टाल रखले है । असन परमान आब हम तोहराके कतेक सुनाउ । आब तु हो बुझा कि पराचिन कालमे थारु थरुइनसब केतना परतापी रहलै ह । फेनु अदउरी बोल्लख कि,सहसरो बरिस पहिले थारु थार मरुभुमिके ओरसे कोच बिहार आदी स्थानमे होके जब यि तराइके जङगल जमिनपर थारु लोग आके रहे लगलख । तबसे धिरेधिरे थारके कुल पइलबारमे बिध्याके परचार कम होखे लागल सम्बत १९६० साल तक त थारुहटमे बिध्याके परभाव बहुत कम होगेल रहे । यिहे कारनसे दोआद आ कलम गाओमे कहाँसे आओ । एगो गाओ तु कहैत बारु,हमरा त अंदाज बा कि आजु सम्बत १९८९ सालमे भी अनेको गाओमे दोआद आ कलम न मिलैत रहे ।आब तु ही धरमसे बोला कि,हमर कवनो दोस बा ?

                                                                  थरुइनके गर-गहनाके उपर धिकारैत अदउरी चौधरी फेनु करक करकके बोले लागल कि आसेरके हाथके मठा,सबा सेरके घेटके हसुली,सेर-सेर भरके कँरा आ गतरगतरमे गोदना यि चलन कहाके हैइ ? सि सि धिक्कार तोहर थरुइन जातके यि कवन गहना कहाबेले की भारिके मारे घेट गठ्ठा आ गोरमे करा लगएलासे करिया करिया ठेला आ उपरीसे चार चोताके मइल जमल रहेले । आ भारी कुन्डलके मारे त कान चिराइत रहेले आ नकझपा खोटिला त नाकके बरबाद करके औरी कुरुप बनएले रहले । थुक तोहनिके गहनाके बाल बच्चाके साफ सुथर रखही केकरा न गरगहना चाही । तोहनिके जनानिसबके चौबिसो घन्टा हाय गहना कि हाय गहना अकेले बारु कि लइकासबके नाकसे हरदम मोमबती निकलते नकलते उपर ओठसे पोटाके कियारी बनल रहले । सि सि तोहनिके अपन पुरखो पुरनियासबके नामो डुबादेइत बारु । तोहनिके दनाइ बिचारमे कथी होगेल बा । भेल लैका फुहरापनसे मरैत जाए आ दोसर लैकाके खातिर ओझा बोलाए । (भेल लइका पोसाएन आ दोसर लइकाके लेल बेहाल ) । 

 उअपन मरदके बात सुनके अनभौतीयो उठल कि लइकासबके सर-सफाइके बात त तु ठिके कहैत बरा । यि बातके वास्ते त सच्चो लेखा हमनिके थरुइनसबसे भारी गल्ती होइत जइसन त लगैत बा । लेकिन लइकासबके त साफसुथरा रखला जरुरिय है । साफ-सुथर राखेके चाही माने तु जे गहनाके बिसयमे कहला ह उ बातसे हमर चित ओतना नबुझलो ह । बोलान काहे ? काहेकी गरगहना त सम्पतके सिङगार है आ बिपतके अहार होखलै यि मतमे कवनो खराबी हमर नैखे बुझाइत बा ।

                   फिरभी आब त दिन दुनिया बहुत बदलैत जाइत है धिरेधिरे अपन सबकुस कुस सुधार होजतइ । तब अनभौती फेनु बोल्लख कि असा त आब सब बात जाएदेउक आब यि बाताउकी तबतक बउआके सुतेके बास्ते भन्सा घरमे बनबस कदिअैइ ? तब अदउरी फेनी कहलख कि,ह ह होजतै तबतक उलोग उहबे गुजारा करतै तबतक जब लया साल माथ अतै त दोसर लया घर बउआके खातिर बनजतैइ । उ समयमे बउआ चोकटके उमिर भरखर सोरह बरिसके पुगल रहे । हाथमे मठा आ कानमे कुन्डल पेनलही रहे । काहेकी उ समयमे यि उमेरके लरकोसब गर-गहना पहिरे । खास करके चोकट एगो धनिकके सन्तान होएलासे एकरा गरगहना पेन्हला त मोनासिबे रहे । 

    आब त चोकटके मनमे तनितनि जबानीके असर होखे लागल । आब एकरो मन जेन्ही तेन्ही हुरके लागल बरा जोर करे तनको रोकएबे नकरे आ न अस्थिरएबे करे ओकर मनमे त दोसर बातके कसर मसर रहे लेकिन चोकट अभी ओतना न बुझेसके आ बिना कामके एनेओने सुसुआएल फिरे । दिनी खुन खएला पिलाके बाद चोकट आब त ठाठ-बाँठ जमाके अपन बरघरामे पर बैठे आ बरकी फलउआ हुक्कमे चिलम बोझके करनरसे ठरठर ठरठर बजाके हुक्का पिए । चोकट अपन मनही मनमे सोचे कि जारे तोरिके हमरासङेके सवरासब अपन लइकाके खेलारहलबा । हमहु खेलइती त ठिक रहैत यिहे बातसब सोचे आ ललचे लेकिन चोकट त बहुत लजालु सुभाओके सवरा रहे । बिचरा मन हि मनमे चिन्ताके आगीमे गोइठाके लेख धिरे धिरे जरैत रहे । तइयोन चोकट अपन कन्याबासे बोले खातिर तनको न हिमत करे । बिचरा ललच-ललचके हरदम सिलमिलाइत रहे । आ कनेअबा अलगे अपन मनके दरमसैत रहैत रहे । यि जबानीके मन आब कथि खोजैत बा आ काहेला एतना पिन्डोग भेल बा ,यि बातके बिरतान्त बहुरिअबो ओतना ठिकसे न बुझेसके । बिचरा रात दिन अपन मनमे सहरैत आ कचोट सहैत आ आगीके धहसे पकैत मसरीलेख कखुनियो सटपटाइत आ सिमिलाइत रहे ।

                बउआ आ बहुरिया दुनू बेकती एकान्तमे सङे सुते बैठे आ बोलेला आब त बहुत जोर करे । लेकिन दुनू अलगे अलगे अपन मनमे यि बात रखले रहे । एक त भंङ न परे दोसरमे कखुनियो सुनसान अङना घरमे भी यि दुनू बेकती बोले बतियाबे ला तनको हिम्मत करबे न करे,न एकनीके भटको न खुले । आब दुनू बेकतिके एकान्तमे मिलन होखो त कैसे होखो । एकनिके जबानीके कसर-मसरके हार गोहार केहु सुनबे न करे आ न न यि लोगमे ध्यानेन देबे । बउआ आ बहुरियाके मनके कली रहरहके बसन्त रितुके कलीके लेखा अइठैत फुलाबे आ फरेला खोजे,लेकिन लाज आ धाखके डोरामे पुरासे ओघरागेल गेलासे दुनूजनाके कली जब तन्को फुलाबही न सकी तब फलके बात के पुसो ! भउआ चोकट जबजब बहुरियाके सिपसिपके देखे तब तब बउआके करेजा भी मोमके लेखा पिघिले लागे आ सहमके थरथर काँप उठे । बौउके यि बातके तन्को ध्यान नरहे कि अइसन दसा कवन कारनसे होइत बा अपन  जबानिके कसर-मसर बउओ ठिकसे न बुझे सके ।

एक दिनके बात ह कि धुरसझुमे दुआर परसे बउआ बहि बस्ता(बहिखता)लेके अँङना गेल,आ उअपन बहि बस्ता राखे खातिर अपन बबाके घरमे ढुक गेल । अचानक सुनसान अङनामे बहुरिया भि तिउनाके मसला खातिर उहे घरबामे ढुक न जा कि बहुरियाके देखतेके साथ बउआके फिल्ही चमके लागल आ बरा जोरसे अकचका गेल आ लाजके मारे सिहरइत झटपट घरमेसे निकले लागल । ओने बहुरिया भि लाजके मारे काठ होगेल आ झटसिन घरमेसे बहरा होखे लागल कि दुनुमे तन्का धक्का लागन जा तब बहुरिया त बरा जोरसे सहम गेल आ झटकैत बुलके भन्साघरमे ढुकगेल । यि अचानक धक्कासे बउओ बरा जोरसे चिहुक गेल लेकिन थरथरी असथिराएल पर ,अब त बउआके मन बरा जोरसे कनकना उठल । जबानीके मदमे बेसुद बउआके डेङ अब त जेनही तेनही परे लागल कि दुआर पर ठेसके बरकी पटका गिरान तब त घुघुनो फुटगेल आ तनीमनी लेधुरो निकले लागल । आ झटसिन उठके बउआ तुरन्ते सरेहके ओर झरा फिरे चलगेलख ।

एक त बउआके घुघुन दुखाए दोसरमे तनी अन्हार आ एकान्त भेलासे मनके कनकनइनी अब त औउर बरा जोर कर देलख । बिचराके झँरो न भेल,सिसियाएल दुआर पर आके घुरके लगे बैठके आगी तापे लागल । आब त खाली मन हि मन न बलकी बउआके रोम रोममे बहुरियाके मला फेरैत रहे । बउआ अपन सुध बुध हेरागेल आ बेसुध हालतमे होके घुरके लगे बैठल रहे कि फेन्हु अउसनके हाथसे आगी कोरनला आब त बउआके तन्का हाथो पाक गेल । बिचरा ओह भि न बोले बोलल सिरिफ सिलमिलाइत बरघरामे जाके एकपलिया सलगा ओरहके चुपचाप बैठ रहल । आ बहुरियासे धक्का लागलके ध्यानमे मगन हो के थरथराइत सिहरल सास भरे लागल । तखुनिय बउयाके मतार भात खाएके बास्ते जोरसे हाँक पारे लागल,तब बउया बरघरामेसे उठके अङना चलगेल ।  मनके कसकसे बेसुध बउयाके तर तरकारिके भि स्वाद न बुझायल । बिचरा तनिमनी खएलख आ उठ गेल । यि कैसन थरथरी बा काहे खातिर होइत बा ,यि बातके अनुमान बउया न करे सके कि यि कवन रोग ह ।

अपन दाइके घरमे जहाँ रोज सुतैत रहे अलगे बिसवना पर जाके बउया सिरक ओरहके सुत रहल । बिहान भेला पर उठल लेकिन बउया अब त अनबनायल लेखा भेल फिरे बउया चोकट एक दिन भकरबा मरकुरबाके दुरामे बैठल रहे । चोकटके ओर देखके भरकुरबा बोलल कि रे चोकटा ले त हमर बउयाके तन्का खेला त भरकुरबाके सोट भाइ मरकुबा बोल उठल कि गेहे भरकुरबा ददा चोकटाके बउया न भेलै किइ ? भरकुरबा बोलल कि जाहे बुरी हन्से चोकटा त अपन कनेयाके डरसे भागल फिरैसै त येकरा कैसे बउया होतइ । हमरा त हमर दुधु परुके कन्यासङे सुतेला घर देदेलख । हम त चौतहे बरिसके उमिरसे हमअपन कनेयाके सङे सुते लगली तइयो बरा कठिनसे एगो बउयाके आँखी देखैत बारी । चोकटा त तनिमनी परहियो गेल बा । हमर बाप मतार हमराके एको पाठ न परहादेलख तब न भगबान हमराके झटसिन बउया आँखी देखा देलख ह । 

   भकुरबा फेनू बोलल कि रे चोकटा कनेया सङे सुतल ठठ्ठाके बात नइखे । रे बुरिहन्से हमरा त कपारो मे गोफरा उठ गेल रहे आ लरहरोमे तन्का सिलागेल रहे । भकुरबाके अइसन बात सुनके चोकट  अकचकाके पुसलख कि रे भरकुरबा कइसे गोफरा उठलउ आ नरहर सिलागेलउ ह रे ? भरकुबा बोलल कि,रेहे बुरिहन्से पहिले पहिले कनेयासङे सुते गेली त एक महिना तकले न हमही बोली न उहे बोले एकदिनके बात ह कि,रातीखुनी कनेयाबाके सङे सुतल रही,जब आधा रात भेल तब तकले हमहु जगले रही आ हमर कन्यबो जगले रहे आ हमनिके एकेगो बिसवनामे तन्का अलगे अलगे सुतल रहली कि,अचानक अन्हारमे कनेयाबाके उपरी बिलाइ सरपा न कि रेहे बुरिहन्से कनेयाबा अकचकाके बहुत जोरसे चेहागेलै आ हरबराके झटतबर हमरा ओरी घुम गेलइ कि रे बुरिहन्से हालिसिन करोट घुमलासे कनेयाबाके बया हाथ भजाके हमरा मुरिमे गिरा न कि,रे बुरिहन्से कनेयबाके हाथके असेरा अठपहल भारी मठासे हमर कपारमे फटाक सिन चोट लाग गेल । आब त गारचोदहुन धके हमर त कपारमे ठोमहरा उठगेल आ हमर कनेयबाके सेरहा घुरिदार करासे हमर नरहरमे ठोहाक दबर चोट लगान कि रे बुरिहन्से हमर कनेयबोन डरके मारे थरथर करेके मारे सास सोरे लगलइ आ हमहु अपन कपार आ नरहरके चोटके मारे थरथर कापे लगली । रे बुरिहन्से तइयोन कनेयबा बोललख आ न हमही बोलली आ झोफोलेमे उठके कनेयबा अङना घर करे लगलइ । थोरका देरके बाद हमहु उठ गेली । हमर कपारमे त जहाजी कसैलीके लेखा बरकी गोफरा उठ गेल रहे आ नरहर भी तन्का सिलागेल रहे । आ रे बुरिहन्से सबेरे मन्हुयाएले उठके हम लदिके ओरी झरा फिरे चलदेली आ झरा-पएखनाके बाद अपन हाथ-मुह धोके जब हम घरे अैली तब हमर दाइ पनपियाइ लेया देलख आ जब हमर दाइ पनपियाइ देबे खुनी हमर दाइके नजर हमर कपारके गोफरा पर गेल कि रे बुरिहन्से दाइ त रोआइन मुह कके मयाके मारे ठुन्के लगलइ आ हमरासे पुसे लागल कि रे बउया तोरा कपारपर एतबर गोफरा कइसे भेलउ ह ? तब हम समहारके उतर देली कि गे दाइ काल्हु न साझमे ओसराके खम्हनिसे ढबा लाग गेल ह । तब हमर दाइ तुरन्ते हमर कपारमे हरदी चुना खदकाके चरहा देलख । रे बुरिहन्से हम त लाजके मारे हम हक करैत रही । आजु हम तोहरासे अपन दिलके बात कहैत बारियौ रे बुरिहन्से हमरा त बुझाए कि अगर दाइके सामने हमर सचाइके बात निकल जैतियन त हमर कनेयबाके मारबो करतिअैइ कि न ? रे बुरिहन्से हमर दाइ कही कनेयबाके मारतिअैइ न तब त हमरो रोयाइ सुटे लगैत कि न ? रे बुरिहन्से हम केकर बेटा आ हमर कनेयबा केकर बेटी तइयो न जानिले कि काहेला कनेयबामे हमरा एतना जोरसे मया लगैत रहैए । रे बुरिहन्से हम आजु तकले बात न बुझे सकली कि यि कैसन रोग ह ।

              भकुरबाके बात सुनके चोकट ललचबो करे आ मठाके मारसे तनि तनि डेरैबो करे । चोकट पटबरकीके कामके लायक थोरबहुत परलहु रहे । आ तोता मैनाके किताब भी रखले रहे तैइयो मठाके मारके डरसे बउयाके करेज थरथरा उठे लेकिन तबपरभी कनेयबाके देखे खातिर हरदम बेचएन रहे । चोकटके उमिर ठिक सोरह बरिस पुगेपुगे भेल रहे । चोकट जलम नेपालके जिल्ला बराके घुसुकपुर गाओमे भेल रहे । सम्बत १९७५ साल भादो सुदी दोतिया इजोरके दिन जलम भेलरहे । चोकटके जलम पतरिका भी बनल लेकिन मुरुख पन्डित ठिकसे लगन मुहरत न मिलाबे सकलासे जलम पतरिकबामे सब बात बिपरिते घटनासब घटे ।

बउयाके उमिर पनरह बरिस चार महिना भेल रहे । बउयाके परथम जबानीके उमिरमे भरखे कामदेब पनपनाइत रहे लेकिन बउयाके यि बातके बिलकुल पता न रहे । बउया अपन कनेया बहुरियाके देखे खातिर हरदम सटपटाइत रहे तैयो पर भी लाजके मारे काठ भेल रहे । चोकटके गवना सम्बत १९८८ सालमे भेल लेकिन कनेया बहुरिया रह रहके बिधी बेबहारके मारे अपन नैहरे घरी घरी चल जाए । सम्बत १९९० सालके अगहन महिनामे जब बहुरिया अएलख तब सिरिफ एक महिना अएला भेल रहे कि एकाएक बउया चोकटके दाइ ,बउयाके सुतेके बास्ते दोसर घर न भेलासे भन्सा घरमे एकओर झटपट खाली कर देलख । पुस महिनाके अन्हार कुटकुट अन्हरिया रात रहे । बउयाके माइ खएला पिलाके बाद एगो चटाइ दरी दसना सिरक आ सिहनी समेत लेजाके भन्सा घर घैइलथरिके बगलमे बिसवना लगा देलख ।

जब कुस रात बितल तब बउयाके मतार अपन बेटी खटैयाके कहलख कि,गे खटैया बउयाके सुतेके खातिर बरघरामेसे बोलाके लेयाही तब खटैया बैया उअपन ददाके बोलाएके बास्ते गेल । अङनाके दुआरी पर खरा होके हाँक पारे लागल कि ददा गोअ,गे ददा आबेन गेअ । खटैया बैयाके हाक सुनके बउया चोकट बरघरामेसे खुसुर मुसुर करैत उठल आ लटपटाइत आ तलमलाइत अङनामे अएलख तब बउयाके देखते मातुर बउयाके दाइ बोलल कि रे बउया आजु तोहर बिसवना भन्सा घरमे कअ देले बारियौ जाके सुत रह ।

दाइके बात सुन्ते मातुर बउया चोकट लाजेधाखे भन्साघरमे जाके सुत रहल । घरमे करुआ तेलके दिया मिलिर मिलिर बरैत रहे । डसनाके रुआ भरक गेलासे उभर-खाभरमे बउयाके निन न परैत रहे । आ दोसर भारी बात त यि रहे कि,बहुरियाके अबाइ जानके बउयाके मने मनमे भारी दहसत होइत रहे आ बिचराके मन आब त बरा जोरसे धुकुर-पुकुर करैत रहे । तब बउया सुतल रहे फिरभी बउया कभी आँख खोले त कभी मुनलेबे त कखुनियो मुहुरमुनहुर ताके त कखुनियो आख चिलमिलाबे कभी दम साधलेबे त कखुनियो बरकी सास सोरे । बिचरा निसुयाएल परल रहे आ तनको न कुसमुसाबे । जब कुस रात बितल तब खटैया बैया आ बउयाके घरघुसनी काकी दुनुजने मिलके बहुरियाके चेच धके भन्साघरमे ढुकादेलख आ बहरासे केबारी ढबका देलख आ बहरासे खटैया बबीके धकिल देलासे बहुरियाके हाथके मठासे टकरागेल आ टनाक दबर अबाज उठल कि यि अबाजके सनते मातुर आब त बउयाके करेज बरा जोरसे धकधक करे लागल ।

बउयाके मनमे यि बातके भय रहे कि देखिहा कनेयबा हमरा किसियोन करे नहे भगवानअब त बउयाके करेज तनको असथिरएबे नकरे अउरी जोरसे धुकधुकाय लागल । बहुरिया घरके भितर बिचला खम्हामे चिटकल खरा भेल रहे । बउयाके डरसे बहुरियाके करेज भी बरा जोरसे थरथराइत रहे । बहुरियाके यि बातके भय रहे कि,हे भगबान हमर दुलहबा त बमसुसार जइस बुझाबले देखिहा कही उठके हमराके पिटेन लागे । बहुत देरके बाद बहुरिया निनसे ढुले लागल आ चिराकके तेल ओरिया गेलासे चिराकके धिमिर-धिमिर इजोतमे कन्झटके तकलख । जब देखलख कि, निरभेद सुत गेलबा तब बहुरिया केबारीके बिलरी धिरेसे लगाके बउयाके पजरामे आके तन्कादेर बैठगेल तब बउयाके अउरी करेज थरथर कापे लागल मातुर बउया जलगे निसुयाएल रहे । तब बहुरिया बउयासे तनका अलगे देह हटाके बहुरिया भी अपन एकपलिया सलगा ओरहके सुत रहल आ बउयाके सिरकके एगो कोन्ह भी तनका खिचके ओरह लेलेख । लेकिन आब त बहुरियाके आँखमे निन कहाँ बिचारि मुह घुमाके गुट-गुट तकैत परल रहे । एने अलगे बउया भी निसुयाएल परल रहे लेकिन यिहो भितरे भितरे जगले रहे । बिचरा बउया आँख मुनले मुनले उअपन आँख मलकाबे त कखुनियो चिलमिलाबे त कभी सिहरल सास सोरे । उदिन येकनिके कवनो बात बतकही बिना भिन्सर हो गेल मुरगा डाक देबेलगलख आ चिरैचुनमुनसब बोले लागल जब बहुरिया उठके घर अङना करे चलगेल । तब बउया एक झपट साँचोलेखा सुत रहल । कुसर देरमे किरिन फुटगेल आ इजोत होगेल तब बउया भी उठके दुरा दरबजाके ओरी गेल । लेकिन बउयाके मनमे भर दिन धुमधुमकी बनले रहगेल । कारन यि रहे कि,रातमे दुनु बेकती दुउओरीया मुह घुमाके एकेकरे रात भर निसुयाएल जागल परल रहे । रातोमेन बउया कन्खियो आखसे बहुरियाके मुह देखे पएलख । आजु तकले बहुरियाके मुहके सुन्दरता निमनसे न देखे पएलेरहे । आ बोलेला त अलगे बउयाके मन घबराइत रहे लेकिन बोले त कइसे बोले बउया तन्को हिम्मत करबे न करे ।

बउया अपन मनहीमन सोचे कि,कनेयबा एक अनचिन्हार जनि बा बोलएलामे कहु पिता जाइ तब ? तब त हम लाजे मर जाएलजाइ हे भगबान कैसे करु कहके उहे चिन्तामे दिन भर बउया चिन्ता फिकिरमे रहे । दस पनर दिन यही लेखा बितगेल । बउया आ बहुरिया एके ठइया सुते माने एकोदिन बोलेके भङेन परे । एक रातके बात ह कि बउया आ बहुरिया एके साथे निरभेद सुतल रहे । जब अधा रातमे घैलथरीके बगलसे बिलाइ मुस पर सरपान कि बिलाइके धक्कासे एगो पानिसे भरल ठिलहियाके पानी बउयाके चुतरके निचासे बहे लगलख । आ तोसक भिजाइत पानी अगारी बरहैत बहुरियाके डारके लुगाके पुरा गझनौटी भि भिजा देलख । कए रातके जागरम भेलाके कारन भी बहुरियाके निन टुटगेल । बिचारिके डारमे चपचप जुर लगइत रहे । बहुरिया झटसिन उठके बैठगेल आ सोचे लागल कि होय न होय हमरे पुरुखके धन्धा बा । बहुरिया तनितनी पहिलेहिसे सुनले रहे कि,हमर पतीदेबके सुतलामे पेसाब होजाले । 

   अपन पिरिय पतिदेबके नरकमे सुतल देखके बहुरिया सोच लागल कि,आजु बोलब चाहे बिहान बोलब एक दिन न एक दिन हिन्कासे बोलहिके परी । मनमे खुब धिरज धारन कके खुब ढिठ होके बहुरिया अपन पतिदेबके पाखुर पर हाथ रखके धिरे धिरे जगाबे आ धिरे धिरे बोलाबे लागल कि उठउक न कथी कहैसिइ न सुनैत है की ? बहुरियाके नरम हाथसे हुदकएलासे बउया थरक उठलख आ बराजोरसे चेहा गेल आ थरथर कपैत भकसिन अपन आख खोल देलख अब त बहुरियाके सुथर मुहके ओरी धनधन ताके लागल आ खुसिसे मगन होखे लागल बउया आखो मल्काबेके बिसरागेल आ तन्को सगबगएबो न करे ।

हार मानके बहुरिया फेनु बोलल कि देखउक त कैसन चपचपमे तु सुतल बरा तोहरा जुर नलगैत हव कि ? बहिरियाके बात सुनते मातुर बउया उठके बइठ गेल आ कहे लागल कि असा त हमर गलतिके तु साफ कर दिहे ।बहुरिया बोलल कि कथिके गल्ती ? बउया त लाजके मारे काठ होके घुटकैत बोलल कि,यि बिसवना कैसे भिजगेल हैइ । अपन पिरिय पतिदेबके आखके पलक गिरल देखके बहुरिया झटसिन अपन पतिके पाँखुरमे अपन कोमल हाथ रखे कहे लागल कि,असा आब तु बवनो बातके चिन्ता न धरा हम बिहान बारिमे सब सुखा लेहब । बातचित करैत फेरु भिन्सर होगेल रहे कौआ बोले लागल तब बहुरिया उठके अङनाघर करे लागल आ चोकट भी उठके परपएखना करेके खाति बहरा निकल गेल । उहे दिनसे बउया आ बहुरियामे बातचित करेके लेल भटक खुलगेल । आब त बहुत खुसीके साथ बउया आ बहुरिया अपन उधोगमे लाग गेल । एकदिनके बात ह कि बउया चोकटके इयार बाबु रनधिर सिंह बउया कते अएलख । इयारके घरपर उनकराके बहुत बन्हिया सेबा सतकार कएलख आ दुनु जने बरघरामे बैठल रहे कि,उहे मोकामे कथा कहेबला लेबार पाँरे आ जुमलन । तब उनकरो आदर भाओ कके बउया सबके साथे बैठल रहे । तब सभेजना एकआपसमे कुस बातचित करैत कथा भि लदागेल । तब लेबार पारे बोल उठल कि,सुनत बानी रन्धीर बाबु अपने तनी अपन इयारबाबुके बेटाबा चोकट रामके समझाइ । यि थारु जात सहिमे कमाबेला लेकिन खाएके ना जानेला ना बैठहिके कवनो सिलसिलबारसे राखेला धनहा रजा थारु लोग होला लेकिन जबही चैइतके महिना लागी तबहीसे दुआरे दुआरे करजा खोजे लागी । यि थारु जात दयालु त ह लेकिन तनको लुर ढङ ना होला । गैरके पोसपालके अपनेलोग भुखे सहियाबेला । अइसन सुधुआ जातके गुजरा आजके दुनियामे कदापी न होसकेले । यी लोगमे अगर अइसने सुधुअैइ रह गैल न तब त दुनिया लुट खसोटके नेहाल होजाइ आ यि थारु आ थरुहटके नाम निसानी भी मिट जाइ । पारेके बात सुन्ते मातुर रनधीर बाबु बोले लगलन कि सुनी पारे जी अपने थारु जातके खाली निन्दा करत बानी । थारु लोगके गुन आ मरयादाके ओर भी कभी ध्यान देले बानी कि न ? धानके यिहे थरुहटके थारुलोग बाटे जे लाखो भाइके परति पालन होरहल बा । आ हर साल यिहे थरोहटसे लगभग कयौ करोर मन अन्न भारतके ओर जाला । अउर बिन महङा भोजन यिहे थरुहटसे पुरा कएल जाला । रनधिर बाबु फेनू गरजैत बोललन कि,जब अगहनसे धनकटनी सुरु होखेला तब फागुन तकले पहुच जला आ गामागाइ थरुहटमे दस पनर जना भुखा दुखा आ लुल्हा लङरा लोग ढहत ढिलमिलाइत रहेला । आ पंडित परधान कथकरीके भेसमे लुचा-लफङगा भी भरमत रहेला । नवटंकी,डरमा,रमलिला,दान लिला,नागलिला आरुबहुत तरह तरहके अकचरा भकचरा ठगठगनीसब भी जमात बनाके थरुहटके गमागाइमे पएतरा भरत रहेला आ ठगत रहेला । ढोङी बबा लोग ढोङ बनाके यिहे थारु लोगसे पुजात भी रहेला । आजु थरुहटकेलोग सोझिया गँबार औरी दयालु ना होइत त आहदी अकचरा भकचरा धुरुत बना यि ठगबानके परति पालन के करैत ? अब त अकचरा भकचरा आ ठगवनसबके भारतमे गुजरान ना होइ । यि सभे बहुबन्सबनसब यिहे थरुहटके अधारसे जिएत बाटे । भारतमे बि.ए.आ एम.ए.कएलसबके त केतना बरका मुसकिल बा काहेकी बहुत मुसकिलसे नोकरी मिलत बा । आ यि अकचरा भकचरा अउरी अहादीके के पुसो ।

        रनधिर बाबुके बात सुनके लेबार पारे चकित हो गेलन आ थारुके धन्यबाद देकर पाँरे जी अपना घरे मोतिहारी चल गेलन । दोसरा दिन रनधिर बाबु भी अपना घर सौरादानो चल गेलन । सम्बत १९९६ सालमे बउया चोकटके परथम लइका बेटाके जलम भेल आ ओकर नाओ रधुबंस रखलख । सेकर बाद दु बरिसके बाद फेरु दोसरका बेटाके जलम भेल ओकर नाओ सुबंस धरबएलख । आ तिसरका बरिसमे लसमी नामके एगो बेटिके जलम लेलख लेकिन लसमी दुधकटु होगेल काहेकी सबंसबे अपन दुधुके दुध पिलेबे । तब लसमि बैयाके खाएके खातिर लइ बनाके तन्कातन्का चटाबे कुस महिनाके बात लसमी बैया तनकामनका भात खाएके सिखगेल । आब त लसमी बैया भात खाएके खातिर रेन करे लागल । सेकरबाद एने एगो अतरजके बात यि होगेल कि चोकटके घरमे दारु तारी बिलकुल न चलैत रहे तैयो भकुरबाके फेरमे परके चोकट तनितनी दारु पिएके सिख लेलख । आब त रोज थोरका थोरका कके पिय लागल चोकटके दारु पिअल देखके भोकट खिसिया गेल आ अपन बखरा फाँट लेलख । अउर खेतबारी दरुअहीके चल्ते सब खेत बिकागेल रहे । तैयो उसर खासर मिलकर पाँच पाँच बिगहा खेत चोकट आ भोकट दुनु भाइके बखरा भेल । उमे एक डेढह हजार रुपैया करजा भि रहे । भोकट त अपन कारधन्धा समहारे लागल आ दिनदिने धन भी बरहाबे लागल लेकिन चोकटके कारधन्धा त साफ चौपट होगेल । ठगपुर गाओके झटकु साह सोनार बउता चोकटके महाजन रहे । यि झटकु साह सालमे तिन बेरिया लहनाके ब्याज कसे । आ चोकटके दारु पियाके जही तही सही साप करा लेबे आ बउया कह कहके खुब ठगे । थोरके दिनके बाद बउया चोकटके सब खेत बारी झटकु साह झटक लेलख । आब त बउया चोकट भारी दसाके फेरमे परगेल । दारुके चलते बहुरियाके गहना गठा आ बित भरियासब कुस थोरके दिनमे बिकागेल । 

बहुरियाके नाम कुलबन्ती रहे । बहुरियाके चाल,चलन गुन आ मरयदाके बखान गाओ भर हल्ला होगेल रहे । तिन लइकाके मतार भेल पर भी बहुरियाके सुन्दरता जइसने के तैसने बनल रहे । बहुरिया रातो दिन अपन पतिदेव चोकटके बहुत तरहसे सम्झाबे बुझाबे तइयो न बउया चोकट तनको सम्झबे न करे आ अउरी बहुत जोरसे दारु पिए लागल । एक दिनके बात ह कि,दु चारगो बुरह पुरनिया चोकटके दुयार लगे बैठके गरहलके स्वरगिय फौजदार अम्बर बहादुरके बात कथा उचारलख आपसमे बोले लागल कि सम्बत १९८० साल से १९८८ सालतक फौजदार जि थारु जातके उन्नतीके बास्ते सभा सम्मेलन कएलन । थारु समाज उनकर बात कथाके ओर उ समयमे खुब ध्यान देलख और सुधरल भी । फौजदार जि के बात कथा चोकट भी सुनैत रहे । आ चोकट खुद भी स्वरगिय फौजदार जि के सुमधुर बानी सुनले रहे तैयो सुना अनसुना कदेबे । कही-कही स्कुल भी खुल गेल रहे तबपर भी बच्चबासबके परहाबे के बास्ते चोकट तनको न ध्यान देबे लेकिन कुलबन्ती बहुरिया गाओके पठसलामे रघुबंसके परहेके बास्ते रोज भेज देबे ।

चोकटके दिन दसा देखके एकदिन घोरहिनिया बुरहियाके पति ढोरहाइ बुरहबा चोकटके लग आके चोकटसे कहे लागल कि रे चोकट हमर कुल देबता मरखाहभेलासे हमरो न चलले काहेकी आजुतकले हम न हमअपन कुलके नेत धरम रखलही बारी तब त भगबान हमराके एक मुठ्ठी अन्न दान देके निमनसे दिन कटबा रहल बा । तोहरो कुल देबता नरसिंह भगबान हौउ । आ तुहु बरनहा बारे आ तोरो दारु सुगर न चललउ तब तु काहेला दारु पिए लगले ह । यिहे कारन आजु तोहर यि दसा भेल हउ । देख त दसे पनरह बरिसके पहिले तोहरा बिगहाके बिगहा खेत रहलउ ह । यिहे दरुअहीके पापके चलते सब धनदौवलत बितके नास होके बिला गेलउ । आ ढोरहाइ बुहबा बउया चोकटसे फेर बोलल कि खास करके यिहे दरुअही आ अनपरह भेलासे सभे थारुके धन सम्पती ओरियात चल गेलाके कारन थारु लोग डौकियाइत फिरैत बा । आजु मुसकिलसे सयकरा दु तिन जना तनिमनी सुखसे होइ । रे बउया चोकट तु तनको ग्यान कर आब दारु पिएके सोरदे आ कवनो कार धन्धा कर जे से तोहरो रबा रोजी चलतउ आ भरपेट अनदना भी मिलतउ ।

         उजिने उचक्का ठाकुर खरा होके सब बात सुनैत रहे कि उचक्का  ठाकुर हजाम आबत बहुत जोरसे पिनकैत आ तोतराइत बोले लागल कि ह ह यि थथ थारु जात त उबारु जज जात बाटे इ काका का सुधरी । उचक्का ठाकुर हजामके बात सुनते मातुर बउया चोकट आब त खिसके मारे आगबउला होके ओकराके पिटेके बास्ते हुरके लागल आ बोलल कि रे उचक्का हजाम तु सब थारुके कैसे उबारु कहदेले ह ? तुअपन मुह समहारके बोल न त ठिक न होतो सेहो कह देइत बारियो ह आ चोकट फेनु चिचियाके कहे लागल कि 

गित

            हो हमहु त बारी थारु ,कैसे कहला उबारु ।

            कहते कहते थाक जएबा, तबहु न सोरब दारु -१

हम त अपने कमाइले, आ केकरो न खाइले ।

खुब पिइले खाइले,आ घरेमे गुरराइले ।।

           हमरेके पिठिएले बरा,आ हरदम हमरेके तु डिठिएले बरा ।

          कैसन तोहर बान हउ, तोहरा न कवनो काम हउ ।।

          मन करैय खुब मारु,भगा न त फोरब तारु ।

हो हम त बारी थारु,तु कैसे कहला उबारु ।

कहते कहते थाक जएबा,तबहु न सोरब दारु -२

        खेत जोते मे मरदना,परतर न करे एको जना ।

       कैसन उबजाइले धान, देखके लोगबा होइए हएरान ।

माघमे भिखार झरे,बभनासब जयजय करे ।

मनहिमन मोटाइले,केहु हम कहाइले ।

सभे बात तु जानत बारु, तइयो न तु मानत बारु ।

        हो हम त बारी थारु ,कैसे कहला उबारु ।

               कहते कहते थाक जएबा ,तबहु न सोरब दारु -३

चारु तरफ बा खरिहानमे ढेरी , मसरी किनेमे कवनो न देरी ।

तब खाइ हम बेरी बेरी,हमर तोनमे परल गेरागेरी ।

      कैसहु कके धनबा ओरैली,सुपा बरहनी लेके घर अैली ।

    तबहु हमर मनमे बा भारी आन ,जब तक रहि हमरामे मरुया भर परान 

      केतनो दुख बिपत अैहन आरु,काहेला हम बात हारु ।

हो हम त बारि थारु,कैसे कहला ह उबारु ।

कहत कहते थाक जएबा तबहु न सोरब दारु -४

केहु काहे कहे अइहन, बर पितैहन अपन घरे जैहन ।

हम न मानब केकरो बात ,हम चाहे पिएब दिन रात ।

जब महजनबा अकरी,काहेला हमरा महजनबा पकरी ।

तब करब हम जङलमे बासा,उखारब अपन चासबास ।

काहे हमअपन हठ सोरु,यि लोटामे लेआब न आरु 

हो हमहु त बारु थार ,कैसे कहला ह उबारु ।

कहते कहते थाक जएबा तैइयो न सोरब दारु -५

हम न केकरो बात बोली,तु हमरासे काहेला करैसा ठठोली ।

आब हमरोसे न सहाइ ,भगबा कि करियो पिटाइ ।

जा जा हम त कैसहु रहब, हम न तोहर बात सुनब ।

तोहर कहल न करब,जा तु हमही न रहब ।

आँख मुनके पियब दारु,काहे केकरो बात उचारु । 

हो हमहु त बारी थारु,कैसे कहला ह उबारु ।

कहते कहते थाक जएबा तइयोन सोरब दारु -६

तब बउयाके गित सुनके उचक्का हजाम ठाकुर बरा जोरसे डेरागेल । आब उ बिचरा तोतरएते-तोतरएते कहे लागल कि असा हो बउया हमराके मा मा माफ कदा अबसे कबहु न कवनो किसियो कहबो । कहके उचक्का हजाम ठाकुर उहबासे अपन घरे चलगेल । साझीखुन कुलबन्ती बहुरिया भतभन्साके तैयारी करैत रहे । हढिहामे चाउर देखैत बा त जम्मा एके तिनपैइ तनका खुदियाह चाउर देखके बहुरिया बिचारी सोचे लागल कि मारमुह धके हे भगबान एतने चाउरसे कैसे पाच परानिके पेट भरतै ह । बिचारी कुलबन्ती उहे चउबाके तन्का गिलाहे भात निन्हलख आ कोहराके तिउना बनाके उपन पुरुख आ तिनु लइकाके भात तिउना खियाके जम्मा एक कओरा उबर गेल उ खएला बेगर सहर गेल । आ ठकसे उपासे रहगेल तब उ तन्का नोन चाटके पानी पिके सुतगेल । रातभर उहे एक कवरा भात खाके रहगेल । आ भुखके मारे निन न परे अैकर अउकर करै रात भर रहगेल । तैयो बिचारी बहुत हिमत बान्हके सबेरे उठलख आ घरअङना कएल आ हसिय खुसिय रहे तन्कोन उअपन मुह उदास कएलख । आ दिनमे जे जुरलख मिल्लख खाके गुजरा कएलख आ राती खुन कुलबन्यी मलियामे गादगुद तेल लेके बोरसिमे सुसुम कके रघुबंस,सुबंस आ लसमीके गोरके तरबामे मलके सुता देलख । आ अपन पतिदेब चोकटके गोर जाँते लागल रोज रोज सुधे रुखे खएलासे लइका फैकासब दुबरागेल आ हाथके हडी हडी निकल गेल रहे । आ अपन दिनदसा देखके निसबद रातमे कुलबन्ती अधिर हो गेल,ममतासे करेज फाटे लागल चिन्ताके दरदसे सरिर जरे लागल आ बिचारीके आखमेसे एकाएक लोर ढबरियागेल आ चोकटके गोरमे ठोपे ठोपे चुबे लागल । चोकट चेहाके चट दबर उठके बैठगेल आ चाक-चुक ताकके कुलबन्तीके पाँखुरमे हाथ रखके पुसेलागल कि काहे कनै है ! बोलउक न !! कथी भेल हौ ह ?

        फेनु चोकट बोलल कि डिबिया बार त तब कुलबन्ती सुनते मातुर उठके डिबिया बार देलख आ फेनु उठिगे जाके बैठ गेल । चोकट जब डिबियाके इजोतमे कुलबन्तीके मुहके ओरी देखलख तब चोकट ओकरा देखके भी बहुत घबरा गेल । अपन जनिके लाल आखसे लोरके धार देखके इहो बराजोरसे सहम गेल आ करेज दहले लागल सास थरथराए लागल आ ओकर देहधुजा देखके चिन्ताके दरदसे एकरो आँखसे लोर ढबढबा गेल तैयो बिचरा अपन दुखित जनिके मुहके ओर एक डिठसे धनधन ओकरा ओरी तकैत रहे । कुलबन्ती मिरगाके समान सुन्दर आँखके पपनीमे लोरके बुन्द मोतिके झालर लेगा लटकल रहे । मुरिसे घुङघट गिरके कान्हमे अटक गेल रहे । मुरिमेके औठिया केसके खोपा खुलके केसके लटसब डाँरसे निचा आके धरतिमे सितराएल रहे । कुलबन्तीके नरम गालके उपरी केसके एगो पतर लट दुखियारिके सासके सहारे काली नागिनके लेखा सुगबुगाइत रहे । बउया चोकट अपन दुखियारी जनानिके देखके बेसुध हो गेल,आ उ भी दुखके सागरमे डुबलकी लगाबे लागल,हिरदयमे बहुत दुख होएलाके कारन चोकटके धकधकी बहुत तेजिसे बरहे लागल आ बउओके आँखसे लोरके धार बहे लागल तैयो उअप जनानिके दुखके कारन चोकटके अभितकले बिलकुल मालुम न रहे ।

    कुलबन्ती कल जोरके कहे लागल कि,हम बहुत तरहसे तोराके निहोरा करैत बारियो कि आब तु दारु पिएके बान सोर देउकत यिहे दरुअही आ अनपरह भेलासे ठग चोर आ लबारसब थारुके धन लुटके नेहाल होगेल । हमर बबा दाइ हरदम कहैत रहेकी सम्बत १९७० साल तक त अधिकतर थारुसब अन धानसे समपन रही,आ गमागाइ थरुहटमे रिसिमुनिके राज बुझाइत रहल ह । आ फेनु कुलबन्ती बोलल कि आजु सम्बत १९९९ साल हैइ तनका बिचार करउक त कि सिरिफ दु बिस नव सालमे सभे थारु खंखर डंखर हो के पसताइत बा की जारे तोरिके अगती न जनली अगर उ बेरामे यि बातके हमरा तनको जे ग्यान रहैत न,तबही हमर धनके बिनास कबहु न होखइत । कुलबन्ती फेनु बोलल कि आजु मोसकिलसे सयमे तिन चार जना तनिमनी समपन होखी आब अगारी जाके थारुसबके जिनगी अैसनके रही त थारु लोगके नामनिसान मिटजाइ हे भगबान हम कथी करु रघुबंसके बाबु कैसे सम्झाउ ह ।

कुलबन्ती अपन पुरुखके यि बातसब सुनएलख आ उनकरासे पुसलख कि बोलउक न कि तोहरा कैसन बिचार करैत हव ? बहुरियाके सिखानतके बात बउया चोकटके गतर गतरमे भिन गेल उहो खाली हिरदयमे न बल्की अङअङसे कुलबन्तीके सभेबात मन्जुर कलेलख । चोकट बोलल कि आजुसे हम कारधन्धा करब आ दारुओ पिएके हम जरुर सोरिएदेहब । चोकट फेनु बोलल कि असा हम एगो बात तोहरासे पुसेके चाहैत बारी । हमर बात सुनके तु नन खिसिएबे ? कुलबन्ती झठसिन उतर देलख कि सि सि हम काहेला खिसिअबै कवन बात हइ कहउक न त ? तु चाहे मारउक चाहे गरिआउक चाहे  किसियो करउक ,हम काहेला खिसिअबै । हम तोहर जनानिके बास्ते सबसे बरहके पतिके सेबाही त कुलिन्ताके निसानी होखेले लेकिन सपुत पुरुख खाली अपन पतनिएके हिरदयमे न पुजाबेले बल्की सरा मरदना समाजके भी पगरी होके मान आ मरियदा पावले । हमर कहल सभेबातके तु बुझा कहके कुलबन्ती कहलख सेकर पासु फेनु कुलबन्ती पुसलख कि कहौक न तु हमरासे कवन बात पुसेके चाहैत हइ ?

चोकट बोलल कि हम यिहे पुसेला चाहैत बारी कि,जब जब तोहरा लगे बैठिले तब तोहर सुन्दर मुखराके ओर देखही देखहिके हमर मन करैए । दारुके कवन बताबे,तोहर बास्ते त सारी दुनियाके भी सोर देबेके हमर मन करैए लेकिन जब हम अपन सङहतियासबके लगे बैठ जाइले तबे हम तोहराके बिसरा जाइले काजानी भगबान हमराके कैसन बुधी देले बा । चोकटके बात सुनकर कुलबन्तीके बहुत अतरज होखे लागल आ कहे लागल कि जा तु कैसन अदमी बरा,तिन तिन लैकाके बापो भेला पर भी तोरा सन्तोस न बन्हाइत हइ कि ? हमर रुपमे का इमरित बसल हैइ कि ? जे दुनियामे रुपके कवनो किमत न होखेले बल्की गुनके बरा भारी किमत होखेले । अधा रात बित गेल रहे । कुलबन्ती फेनु बोलल की, असा बहुत रात बितगेल चला सुत रहु । तब दुनु बेक्ती लइकासबके अगलबगलमे जाके सुत रहल । दोसर दिन बउया अपन सङहतिया भकुरबाके सङे भठ्ठिमे जाके फेनु दारु पिए लागल आ साझमे ढह-ढहुयाइत ढनमनाइत गरे अएलख । ओकर हालत देखके बिचारी कुलबन्ती बहुरिया रोजना बहुत पिन्डोग होइत रहे तैयो बिचारी भुखे पियासे सहियाके पतिबरत धरममे लागल रहे ।

चौपार घरके अङनाके खम्हा खम्हनी सभे बेचके चोकट भठ्टीबलाके दे देलख,तब सिरिफ एगो पुरुब मुहके घर बाच गेल रहे । उहो घरके खरहके सरनवत सरके गिर गेल रहे । चारके बिलसे तरेगनसब देकाइ देइत रहे । झलझल अकास देखाइत रहे । सिरिफ एगो कोन्हर थोर थार बाचल रहे । उहे कोन्हरमे बाल बच्चासब लेके चोकट दुनु परानी गुजरा करे । बिचारी कुलबन्ती चेथरी गुदरी भेल लुगाफटा पेन्हके बहुत सन्तोसके साथ अपन दिन बिताबे । खएला पिएला बिनु कुलबन्तीके मुहसुखके गालओल सुखगेल काहेकी बदनके मास सुखके हडी हडी सुखके निकल गेल आ डङखर मङखर होगेल । तैइयो न कुलबन्तीके सुन्दरता गुदरीमे लाल लेखा चमकैत रहे । कुलबन्ती अपन पतिदेबके सामने कल जोरके निहोरा करे आ रोज रोज सम्झाबे लेकिन दारुके चस्कामे बिबस होके चोकट तन्को न सम्झे आ रोजना दारु पिलेबे । एकदिनके बात ह कि,चोकट दुनु परानी भुखले दुखले सुतल रहे । कटकट अन्हरिया रातमे आके चोर सेन्ह काटे लागल । सन्ह कटैतके समयमे ठकठक अबाज सुनके कुलबन्तीके भुखाएल पेटके कारन निन टुठगेल । बिचरा अकचकाके उठके बिसवनामे बैठ गेल आ अकाने लागल कि कथी खटखट करैत है । कुलबन्ती बिचार कएलख कि होए न होए चोर न त सेन्ह कोरैत है ? तब कुलबन्ती चुपकेसे अपन पुरुखके अपन हाथसे खोधियाके धिरेसे जगएलख कि उठउक न बुझाइत है कि चोर अपन घरमे सेन्ह खन्है । तब बउया चोकट जगलख आ बोरसिमे तन्का खरह बारके इजोत कके बैठल रहे कि,चोरबा टाटमेके भितरीके लेबार ओदारके गिरादेलख । बहुत दिनके टाट होएलाके माने टाटके सभे खरह सरगेल हरे ओहिसे बरका भोङ होगेल तब चोरबाके हक हक करैत चोकटके दुनु बेकती अनामिते देख लेलख । आ चोरबो येकनिके दुनु बेकतिके बैठल देखके चोरबो चेहागेल आ ठकुयाएल बैठल रहे । कुलबन्ती बोल उठल कि,हमर घरमे कथि हौ से तु चोराए आएबारे । कुलबन्तीके अैसन बात सुनके चोरबा भुखे तलमलाइ उहबासे भाग गेल ।

       एकदिन सबेरे लसमी बैया भुखके मारे बिलुख-बिलुखके आ गोर दरमस दरमसके काने लागल आ बरा जोरसे रेन करे लागल । घर पर एको मुठी अनदाना न रहे,बसियो तेबसियो भात किसियोन बाचल रहे । आ न तन्को सतुओ पिठार रहे कि कुलबन्ती पकाके खाएकेला देओ । बिचारी रोअल देखके अपन दुधकटु लैकिके कैसे कलबुध आ चुप कराओ । कुलबन्ती अपन लैकाके भुखसे सटपटाइत देखके ममतासे बिभोर होगेल आ भगबानके दोस देबे लागल,बहुत पिन्डोग हो गेल आ उअपन जिबनसे घिनाबे लागल । कुलबन्ती बिलुख बिलुखके भुकुर भुकुर रोइत अपन परोसिनके अङना भात माङे गेल । अपन काखमे लसमी आ हाथमे बाटी लेके भात माङके कुलबन्ती अपना अङना चल अबैत रहे कि चोकट भी लदिके ओरसे आजुमलख । कुलबन्तीके हाथमे भात देखके चोकट त आगसे बबुला होगेल कारन यिहे रहे कि,एक महिना पहिलेहिसे चोकट जब जब भकुरबा सङे दारु पिये लागे तब भकुरबा चोकटके धुधकारेके सियासिया कदेबे । भकुरबा कहे कि रे चोकट जारे बुरिहन्से चिरुया भर पानिमे डुबके काहेन मर जाइसे रे ? जारे निरलज्जबा तोरा कमाइत कथ्थी होइसउ रे जारे बुरिहन्से धिक्कार तोहर जबानिके । रोज रोज तोहर मउगी अङने अङने भात उगाहके मङैत फिरइसौउ । रे नजङरा कोरिहाँठ जब तोरा बालबच्चाके पाले-पोसेके सकति न रहलौउ ह त लइकासब काहेला जलमैलही रे ससुरा हन्से तु त थारुसबके नाओ हसएले से हसएबे कएले लेकिन तु मरदोके भी नाओ डुबा देले । थुकसिऔउ तोहर दनाइ पर जारे बुरिहन्से । भकुरबाके बात ओकर करेजमे तिरके जइसन लागल यिहे बातके चलते चोकटके खिस बरगेल आ खिसके मारे चोकट गोरहा उठाके कुलबन्ती पर चलादेलख । पिठके दुबली पतली खङखर डङखर हडीमे धमाकसिन चोट लाग्गेल । आब त बिचारी बहुरिया सिलमिलाइत अपन अङना ढुकगेल । तब चोकट घरपर आके हराहर गारी देबे लागल आ कहे लागल कि,काहेला तु अङने अङने भात माङे जालु ? रोइत सिसकैत कुलबन्ती जबाब देलख कि घरमे एको मुठी अनदना नैखे आ तोहर बाल बच्चा खाएके लेल रेन करै त हम कथी करु तुहि कहा न त ? हम अङने अङने तोहर लैकाके खातिर मङलापर तु हमराके पिटला ह । तोहर लइकासब भुखे मानबेन करे । तब हम हार मानके भात माङे गेल रहली ह ह आबसे नजबैइ तुहि जैहा कहके चुपचाप होगेल आ भुखाएल उअपन तिनु लइकाके लेके डेरह कोसके दुरिमे रहल उपन लैहर बुधगाइ गाओमे जाए लागल । काहेकी बुधगाइमे कुलबन्तीके लहिरा रहे । रघुबंस आ लसमीके अपन अङुरी धरएले बोलाइत जाइत रहे आ सुबंसके अपन कोरामे बोकले कुलबन्ती अपन आखसे लोर चुबाइत हाँक न पारके सुसकैत बोलैत जाइत रहे कि …….

बिलापके गित

ताल चाँचरके धुनमे

बरि मुहजोर न माने,आहो मोरा पियबा हे ।

भुखले हकन करे नित धिया बा हे -१

लाखो तु बुझएलोमे,आहो समझएलोमे

तबहु बनगेली भारी दरुपिअबा हे ।

बरि मुहजोर न माने,आहो मोरा पियबा हे ।

भुखले हकन करे नित धिया बा हे -२

झटकु साओ झटकल धन बित  हरपल

तैयो न कुसो ग्यान सामी जिके हियाबा हे 

बरि मुहजोर न माने,आहो मोरा पियबा हे ।

भुखले हकन करे नित धिया बा हे -३

खुब दारु पिआइ भेल,घरगिरही बिकाइ गेल

लुट लियाइल ह भठ्ठिसे, घर बिगरगेल खराब सङहातीसे 

बरि मुहजोर न माने,आहो मोरा पियबा हे ।

भुखले हकन करे नित धिया बा हे -४

अन त दुरलभ भेल ,ठठरी निकल गेल

बिलुखत भुखे लइकासबके जियबा हे 

बरि मुहजोर न माने,आहो मोरा पियबा हे ।

भुखले हकन करे नित धिया बा हे -५

कइसेके कटबो हमे बिपतबा हम बारी करम निचबा हे

परजन करले दुरदुर मुहझौसा हे 

जे होखिसे होखबे करी फेनुसे ल्याब लया जिबनबा हे

बरि मुहजोर न माने,आहो मोरा पियबा हे ।

भुखले हकन करे नित धिया बा हे -६

रामके दोहाइ देली बुधके गोहार कैली

जएबो हम कहबा केकर गलियरबा हे 

बरि मुहजोर न माने,आहो मोरा पियबा हे ।

भुखले हकन करे नित धिया बा हे -७

दुखियार कुलबन्तीके दुखके पुकार सनके भगबान बुधके ध्यान टुटगेल । आब त भकसिन आख खोलके कुलबन्तीके परोसमे बुध भगबान सकसात परकठ भेगेल । मधुर बानीमे भगबान कहे लागल कि अहा ! गेहे कुलबन्ती तु त परम पतिबरती आ सतबती बारे गे । आब तोहर सभे दुख तकलिफ तुरन्ते दुर हो जतउ आ तोहर पतिके भी बुधी सुधर जतउ कहके बुध भगबान फेनु कहे लागल की सत्य सरनम गसामी,सन्धम सरनगसामी आ बुध सरनम गसामी यि सब्दके भगबान बुध अपन मधुर बोलीमे बोलके फेनु अन्तर ध्यान होगेल ।

         भगबान बुधके सुमधुर बानी कुलबन्ती सुने न पएलख न त ओकराके सकसात देखेही पएलख तैयो कुलबन्तीके बिकल अतमामे भगबान बुधके बरदान तुरन्त असर करे लागल । आब त कुलबन्तीके हिरदयमे अचानक अपनेमने बहुत सान्ति मिले लागल । लइहर पुहुचेसे पहिलही कुलबन्ती बहुत गम्भिर बनगेल । तब कुलबन्ती लहिरा पहुचके अपन बाबुदाइके पाओ सुके गोर लगलख । कुलबन्ती दुबर पातर देखके ओकर दाइ पुसलख कि गे बैया तु काहे अइसन दुबराके खटही होगेल बारे गे ? तब अपन दाइके बात सुनके बहुत गम्भितासे जबाब देलख कि,तनिमनी बिमार परगेल रहली ह गे दाइ ओइसे दुबरपातर हम होगेल बारी ।कुलबन्ती अपन पतिदेबके अबगुन बिलकुल सिपादेल,तन्को न भन्क लागेदेलख । रघुबंस सुबंस आ लसमी भी अपन नानिके किसियो न बतएलख । बच्चबासबके यि सिखानत आ बुधिमानीके बिधिया कुलबन्ती खुद परहएले रहे आब त कुलबवन्ती बचबासबके सङे लहिरेमे दिन काटे लागल ।

     कुलबन्तीके बाप बहुत धनबान नरहे फिर भी चार पाच बिगहा खुब निमन जमिन ओकर पास जरुर रहे । कुलबन्तीके बापके नाम समुध राय चौधरी रहे । कुलबन्तीके आ बचबासबके बखतपर अनदना मिले लागल । आ दुनु बचबासब बुधगाइ स्कुलमे जाके परहे लागल । जवन दिनसे कुलबन्ती लइहर चल आएल वहिदिनसे बउया चोकट चिन्ताके मारे दारुओके पिनाइ भी बिसरागेल । आ बहुत अपन बालबच्चासबके लेल कुलबन्तिके चिन्ता करे लागल उहबा ओकर बाबु दाइ हमरा कथी कहैत होतइ हे बुध भगबान कहके घरीघरी सिलमिलाए लागल । बिचरा चोकट चिन्ताके मारे बहुत हि बेचएन रहे,फिकिरके मारे अनबनाएल फिरे आ रोआइन मुह कएले जेनही तेनही भुखे एकान्तमे भरमैत फिरे । आ साझमे ठसैत ठुसैत घर पर आबे आ भुखले दुखले सुत जाए ।  चिन्ताके मारे चोकटके निन भी बेपता होगेल आ बहुत दिन नसुतलासे सुधबुध हेरा गेल आ मनमे बौयाए लागल आ करेज धकधकाए लागल । बिचरा चोकट परल परल चारके बिल दने अन्हार रातमे अकासके तरेगनसबके ओर टकटकी लगाके एक सुरसे देखैत रहे । आखोन मलकाबे न सुगबुगएबे करे निसुयाएल परल रहे ।

          चोकटके अपन परिबारसे सुटला कुस दिन बितगेल रहे ओहिसे चोकट अपन सुनसान घरमे अकेले बिपतके मारल चोकट अनेक किसिमके अपन बिताएल बात पर पस्ताबे आ अपन आखसे सरोबर लोर चुबाइत मनेमे बौयाइत परल रहे आ रह रहके थकमकाइत जोर जोरसे सास भी थरथराइत रोक रोक के सोरे ।अपन सुन्दर मौगिके बोसोरमे कुलबन्तिके सुन्दरताके मोहमे आ ओकर सहनसिलताके पलपल यियाद कके निसबद रातमे चोकट चुपचाप बहुत ब्याकुल होके मनेमने भुकुर भुकुर बिसवनामे अकेले रोइत रहे । आ सिसकलाके मारे बिचराके दम भी घुटकइत रहे । चोकटके धिपल धिपल लोर आखके कोन्ह माहे गिरके सिहनी भिज जाए । आँखके लोर सुखबे न करे । एकर मन तनको अस्थिरएबे नकरे । कुलबन्तीके रहैतमे यिहे मरैइ हमल बुझाइत रहे । यि खन्डहर घर चमचमाइत रहे आ खुब जगमगाइत रहे । आब त यि हमर घर मुरदघटीसे भी डेराओन लागरहबा । आ बरा जोरसे कटाओन लाग रहलबा । आ कैसनोन गमसाइन गन्हाइत बाटे ।

     रात भर चोकटके निनपरे रातभर जगले रहजाए । आ बिहान होखे लागल,पोह फाटे लागल,मुरगा बोले लागल आ कौवा काऐे काऐ करे लागल । बउया चोकट उठके तलमलाइत लदीके ओर चलदेलख । दिसा मैदान कके हाथ मुह धोके चोकट भकुरबाके दुआरमे गेल । रातभरके जागरमसे चोकटके आख लाल होगेल रहे,एकर मन बहुत बेहाल होगेल रहे ।आ ओठ भी सुख गेल रहे । भकुरबा चोकटके दिलके सब बात बुझ गेल । काहेकी उ चोकटके परोसिया रहेके साथे सङहतिया भी रहे ।

भकुरबा तुरन्ते अपन अङना जाके चोकटके खातिर पन्पियाइ लेआदेलख आ खुब आदरसे खिएलख । चोकट पन्पियाइ खाके अपन घर चल आएल । दु चारे दिनके बाद चोकट बहुत ब्याकुल होके अपन पत्निके बोलाबे खातिर ससुराली गेल । ससुरार पहुचके चोकट अपन सास आ ससुरके गोर-ओर लगलख आ पन्पिआइ,कलौउ,बरहटिया खाके ससुरालेमे रात रहगेल । तब कुलबन्तिके बाप आ माइ जब सबेरे खेत खरिहान देखेके खातिर चलगेल तब उहे मोकामे कुलबन्ती अपन पतिदेबसे भेट करे खातिर झटपट बरघरामे अएलख आ पुसलख कि केने केने आएल है ह ? चोकट उतर देलख कि,तु अब हमर घटि बरही माफ कर आ चल घरे कुलबन्ती बोलल कि,हम कथी तोरा माफ करु बलकी हमरा करा तु । कुलबन्ती अपन पतिके गोर पर उअप मुरी रखके बिन्ती करे लागल कि आजुसे तु दारु पिएके बान सोर देउक आ कवनो कार धन्धा करौउक । चोकट झटसिन कुलबन्तिके चेच पकरके उठएलख आ साथमे बैठगेल आ कहे लागल कि हमरा अइसन पापीके गोरमे तुअपन मथाटेकके आब हमरा न लजबाउक । हम बहुत गलती कइली,तोहराके बहुत सतैली आ दुख देली आ तोहर मनके दुखइली चोकट अपन बोहसे कहलख आ कहलख कि तु जहियासे अपन लइहर तिनु बच्चाके लेके चलएले ह तवने दिनसे हम दारु पिएके बान सोर देली आ आब हम घर जएते मातुर कवनो न कवनो कार धन्धा जरुर करब । आब तु चलउक ।

         कुलबन्ती अपन मरदके मिठ बोली बचन सुनके बहुत खुसी होके गदगद होखे लागल आ सुखके सपना देखे लागल आ सुखके कमना भी करे लागल । कुलबन्ती बहुत खुसिसे बोलल कि असा दुनु बउयाके ऐतही सोरदा हमनिके दुनुजना आ लसमिके लेके घरे चला । काहेकी तबतक बउया रघुबन्स आ सुबन्सा एतही परहिलिखी सेकर बादमे कवनो बात बिचार कएल जाइ । पत्निके राय सलाह मानके चोकट बोलल कि,असा त ठिके हइ घुसुकपुरमे निमन इसकुलो है । तब ओकनीके कलउ खाके उहासे तिनु परानी अपन घरे चल देलख आ साझतक ओकनिके अपन घर आपहुचलख ।

          घुसुकपुरके सटले लखनपुर गाओमे मोसब्बर नामके एगो निम धनिक रहे । दु चार दिनके बाद यिहे मोसब्बर साहके घरमे पटबरकीके नोकरी चोकटके मिल गेल यि धनिक बहुत मयार भी रहे । तब चोकटके तलब सालके सबा सय रुपैआ आ रबिपातिके मनमे एक असमिया धरा देबेके लेल तलब तुरदेलख । एकदिन चोकट कलउ खाके दुआरपर बैठल रहे कि,धमाक सिन महन्थ राम जुमा न तब चोकट गोरलगी ओरलगी कएलख सेकरबाद महन्थ रामके खातिर बिसवना आ पानी ल्याके देलख । तब महन्थराम गोर पसारके बिसवनामे बैठगेल । तब चोकट पुसलख कि कुसल मंगल कहा ना कैसन हव ? महन्थराम जबाब देलख कि,सब ठिके हइ । चोकट फेरु पुसलख कि,केनेकेने अइली ह ? मन्थ बोल्लख कि,अपन जात ब्यादरके सुधारके खातिर बात कथा सुनाबे ला अइली ह । चोकट फेरु पुसलख कि,खानपिनके हाल नकहा ? मन्थ उतर देलख कि, भरखर खएते अबैतबारी तब चोकट बोलल कि,असा आब सुनाबा कवन बात हौव ? उहे बखत उचक्का हजाम ठाकुर भी आके लगे बैठ गेल । तब महन्थ बोले लागल कि,सुन भाइ लोगनी अपनेसब बेटाबेटिसबके भी परहाउ लिखाउ । दारु पिनाइ आ कवनो भी नसा लागेबला चिजसे नसा करनाइ मनाही कर दिउ आ अपने भी न सेबन करु । तब हमनिके खुब सम्पन्न आ सिक्सा दिक्सामे सफल होसकब । ह  अउरी एगो बात बा कि,बिरगन्ज आदरस थारु सतरबासके खातिर अपनेसब अपन अपन बालबच्चासके सतराबासमे रहके परहे खितर जय-जथासे सहेता करु काहेकी बिना संगठन आ बिना सहायतासे कवनो जातिसमुहके आ देसके भी उन्ति नहोखेले । महन्थके उपदेस बउया चोकटके मनमे गरगेल धकाधक सबबात चोकटके सुझे लागल आ बुझे लागल । तब चोकट बोलल कि,हो महन्थ जि कथी कहियो तोरासे आब हम तन्का हमअपन बितल बात तोहराके सुनादेइत बारिओ । 

गित

                  हो कथी कहिओ तोहरासे ।

           कहाइत नइखे मोहरासे -१

जबतक रहलख हमरा धनबित,यिआरी दोस सब जोरे पिरित ।

सबसे रहे हेमखेम,महजनबो पुसे कुसल सेम

खेतसब तहियो बिकागेल,बटइया भी अबतो सिनागेल

हरमनिके खातिर भारी,झगरा होगेललोहरासे ।

हो हम कथि कहियो तोहरासे 

हो कहाइत नैखे मोहरासे -२

केहु न अपन होइत बा,अब माइ हमर रोइत बा 

कर कुटुमसब नता तोरदेले,हमजनबा भि अब मुह मोरदेले

कइसे अपन दिन बिताउ केतना हम भुखे सहिआउ ।

बरा कठिनसे परान बचइली कहैसियो हम तोहरासे ,खाके उसिनल कोहरासे 

हो हम कथि कहियो तोहरासे कहाइत नैखे तोहरासे -३

मेहरी घरपर रोए मन हि मनमे बसतर नैखे ओकर तनमे ।

भुखले दुखले सुतली राती,बिना तेल बुझगेल बाती ।।

सुतल रातमे चोरबा सेन्ह कटैत रहे,उहो चोरबा भुखे हफैत रहे ।

उहो चोरबा भागल जब,बोरसिमे इजोत कइली तब ।।

हो कथी कहियो हम तोहरासे 

कहाइत नैखे मोहरासे -४

रोरोके मेहरी भिजएलख अचरा,सभे बचएलख उहे भतरा

जब लइकासबके जर तरकल,फिस बिना डाकटर हरकल 

एको पैसा नइखे रहे,हमर आखसे लोर बहे

कहियो त मनबा करे ,मुर फरलु मुङरासे

हो कथी कहियो हम तोरासे

कहाइत नइखे हमरा तोहरासे -५

बचबा रेन करे उत्पात,तिरिया होइत बा अम्पात 

झखैत झखैत आखमे आचल,घरमे किसियो नइखे बाचल

घरसे तिरया निकलल जात,बचबा खातिर मागे भात

उहे खातिर हम खिसियाइले,मारे खतिरा गोरहा चलाइले ।

हो कथी कहियो तोहरासे 

कहाइत नैखे मोहरासे -६

अब त भारि बिपता परगेल,नैखे किसियो घरमे रहगेल 

अखिनसे न लोर सुखे,जियरा थरतर कापे भुखे

कैसन दुरदिन अउरी आगेल,मेहरी बिलखत लैहर भाग गेल 

सटपट मनबा करे अकेलेमे ,ठेसैत अैली दुअरामे

हो हम कथि कहियो तोहरासे

कहात नइखे मोहरासे -७

बापोके कमाइ गेल,ओहो बरा बुरबकाइ भेल

निमनसे जे काम करती,तब त दस मन दान धेती

लोगबासब हमराके बुधु बनएलख,ठगे खातिर हमराके सकएलख

न पियती हम भादोसे दारु,न गन्हियाइत हमरा कुअरासे आरु

हो कथी कहियो तोहरासे

हो कहात नैखे मोहरासे-८

अगती नजनली अइसन होइ,हमरा जित न सकैत कोइ 

आँख मुनके पिअली दारू,ओहिसे न सुझलख आरु

हे भगबान हमराके माफी करु,आब हमराके निमन करु

दम्पती जोरी बिसरत बा ,मयाके गारी मुखरत बा

हो हम कथीयो तोहरासे

हो कहात नैखे मोहरासे-९

आबा हमराके राह देखादा,निमन निमन बात बुझादा

आब हम मानब तोहर बात,न सोरब तोहर साथ

हमरो बचबा परहाइ करी,तब हमर बचबासे लसमी ढरी

हमअपन मेहरिके धोती चोली किनब,तब हम मेहरिके खुसहाल देखब

हो हम कथी कहियो तोहरासे

हो कहात नैखे मोहरासे -१०

चोकट अपन पुरा कहानी महन्थरामके यिहे गितके माध्यमसे सुना देलाके बादमे महन्थ बोलल कि ओ हो हो हो ओ जी तु त बरा भारी दुख झेलके बैठल बरा हो चोकट चौधरी तु धन्यके बरा हो । फेनु महन्थ कहे लागल कि,हे चोकट तु अपन भबिस्य अलबते सुधार लेला हो मरदे ! तोहर नाओ अब त इतिहासमे अमर होगेलोअ हो मरदे । तोहर पत्निके गुन आ पतिबरता सुनके हम त बहुत चकित होगेलियो हो । तोहर पत्नि आ तोहरा बहुत धन्यबाद देइत बारिओ,आ हमअपना ओरसे असिरबाद देइत बारियो हो कहके महन्थराम फेनु बोलल किः-

      कुलबन्ति खाली तोहरे घरके इजत न रखलो कि बलकी समुचा थरुहटके थारु समाजमे सति साबितरीके समान हौव हो भाइ । यिहे धरम पत्नीके चलते आ येकर पुन्य परतापसे तु तु कुउरस्ताके अधुरा सोरके भाग गेला हो ।निसाएल निनसे उठके जाग गेला हो । सत रस्तामे आगेला हो । आ उन्नतीके रस्ता पकर लेला हो । हो चोकट अगर कुउरस्ता न सोरले रहता न आरु बहुत दुख सहेके परतियो तु ठिक कएलाकी ठिक समयमे खराब रस्ताके सोरदेला तोहरे जइसन आरु जना भी खराब रस्ताके अधुरे सोरके निमन रस्ताके ओर लवट जैतियत बहुत निमन होतिअै हो काहेकी थरुहटमे फेनु रिसीमुनिके राजके लेखा हो जैतिअै स्वरगके समान बन जाइत लेकिन बन्हिया बात केहु सुनबे नकरैए,आ केहु केकरो गुनबे करैए,निमन बात धुनबे न करे,आ इमानदारके कवनो चुनबे न करे,तब कैसे सुधार होखी। महन्थरामके बात कथा सुनके चोकट बोलल कि, असा ओ मन्थ जि हम बहुत गरब होगेल बारी ।सतरा बासके सहेताके खातिर हम खुसिसे दु रुपैया दे देइत बारियो हो खुसिसे लेला ।

     यि बात कथा सुनके निमन काम गुनके उचक्का हजाम ठाकुरके मनमे बहुत ग्यान हो गेल ,सतराबास पर एकरो ध्यान होगेल,तब उ हो तोतराइत बोलल कि लिलि लिउ हमहु आठ-आठ अना देइत बब बारी हहमरो पैसबा बु बुझलुउ ।तब महन्थ दुनुजनाके सहेताके रकम बुझलेल आ पुसलख कि,ओ चोकट जी अपनेके कएगो बेटा बा ? चोकट बोलल कि,दुगो बेटबा आ एगो बेटि बा । आ दुनु बेटा बुधगाइ इसकुलमे परहैत बा । आ बेटी हमनिके सङे बा । जेठका नाओ रघुबंस बा परथम सरेनिसे मिडिल पास भेल ह आ ओकरासे सोटके नाओ बा सुबंस बासे उ पचबा कलासमे परह रहल बा । चोकटके बात सुनके महन्थ राम कहे लागल कि बिरगंज सतरा बासमे भेज न दा । हम हरिचरन आ चिरन्जिबीसे मिलके तोहरा बारेमे कवनो बर बिचार कके सतराबासके लगानमे कुस कम करबा देहब बोलु त चोकट जी अपनेके का राय बिचार बा ? चोकट बोलल कि,असा ओ महन्थजी तनी घरमे बिचार करलेबेदु । तब जरुरे भेजदेहब । फेनु चोकट बोलल कि,ओ महन्थ रामजी केवल चौधरी कहाएबला के बारन ओ ? हुनकर नाम त हमनिके बराबर सुनिले । उनकर बारेमे यि भी सुनिले कि,केवल चौधरी जी बलजोरी थारुके लइकासबके लेजाके परहालिखाके हाकिम बना देबलन । ओ महन्थ जि यि बात साचोके है ओ ?

     चोकटके सब बात सुनके महन्थ बोले लगलन कि, ह ह हुनकरे करतब बा जे केतना थारुके बच्चा लोग परहलिखके भारी बिदवान हो गेल बा । आ केतना त हर हाकिम भी बनके बहुत सुखी होगेल बा । आ हम हरिचरनजि आ  चिरन्जिबीजिके हुनकरे न चेला चपाटी न बारिओ चोकटजिके बात कथा उसरलापर गोरलगी कके महन्थजी उहासे बिदा होके चलगेल  । एसुका जब साल माथ अएलख तब त चोकटके निमन आमदनी होगेल । मोसबर साहके पाँच से लेके सय असामी रहे । यि सालके असमिया धारके धान करिब १५० मनके लगभग चोकटके मिलगेल । अब त चोकटके धान उदबुद होखे लागल आ करम जागे लागल दुकसब बागे लागल आ सुखके सपना पुरा होखे लागल ।

     अब  त यि  चोकट धान बेचके तुरन्त अपन ति बिगहा भोगबन्धी खेत सोरालेल आ सोटमोट फुसके चौपार घर भि फेरुसे बनालेल । अब त घरके लसमी कुलबन्तीके पुन्य परतापसे दिन दुना रात चौगुना धनके बढोतरी होखे लागल । अब त एकर धान भी हटबे जोखे लागल । अब चोकटके कवनो बातके हरज नरहे । अब त चोकटके दुनु परानी हिलमिलके हसे लागल,एक दोसराके मनमे बसे लागल । दोसरका साल २००७ साल फागुनमे चोकट अपन बेट रघुबंसके बएल गरीमे बैठाके दस मन चाउर लादके बिरगंज सतराबासमे पुगादेलख । उ समयमे सनजोगसे महन्थ जी भि बिरगंजमे हि रहस । महन्थजी सिकरेटी चिन्जिबी परसादसे कहके चोकटके दुनु बेटाके सतराबासमे बरना करादेलख । सिकरेटी चिन्जिबीजिके सरहानिय अनुसासनमे रहके रघुबंस आ सुबन्स दुनुभइ बिध्या अध्यन करे लागल । सिकरेटी जि रघुबन्सके आँठबा कलासमे आ सुबन्सके सठबा कलासमे बिरगंजके हाइ स्कुलमे नाम लिखा देलन । चोकट अब महन्थ जिसे पुसलख कि,ओ महन्थजी आब हमराके केवल भगबानसे कहिकया दरसन करादेहब ? मतब महन्थजी बोललन कि उहो त आएल बारन देखु न उहे चस्मा पेन्हले किताब परहैत बारन । असा रहु त हम हुनकरासे भेट अपनेके भेट करादिले । महन्थजि तुरन्त केवल चौधरीके पास जाके हुनकरासे कहलन कि चोकट नामके एकजना थारु भाइ अपनेसे भेट करेके चाहैत बा । तब केवलजी बोललन कि,ओकराके बोलबहुन । महन्थ रामजी चोकटके साथमे लेके केवलजीके पास अएलन । चोकट केव लजीसे गोर सुके गोरलगी कएलख,आ समने खरा होगेल । केवलजी ध्यान किताबमे रहे आ चोकट त टकटकी लगाके केवलजीके मुहके बनावटके ओरी बरा ध्यानसे देखे लागल । चपटा नाकमे बरकी बरकी बिल लहमर कपार चोकटल गाल मझोलबा आँखमे मोटका फरेमके चस्मा आ मुरिमे खरा करिया केस दारही आ भेयाओन आकिरतिके देखके चोकटके  करेज अब त थरथर कापे लागल मनही मनमे यि हाफे लागल आ बरा जोरसे हाफे लागल ।

चोकट अपन मनमे सोचे लागल कि,बाफो बाफ यि त बरा पिताह जैसन बुझाइत है । चकुर चाकुर कसेली खाइत हैइ ह आ अउटोन उ नमुनाइत हैइ ह । चोकट बरा जोरसे सहमे लागल आ अबतएकर मनभी भरे लागल । बिचरा बरकी फेरमे परगेल आ रह रहके सोचेकी हे भगबान हम कैसे करु अब त हमराके बुझाइत बा डाँटि कि न ? तब केवलजी चोकटके ओरी देखके कहलन कि हो बैठान काहेला करा भेलसा तब चोकट अलगे बैठगेल तब केवलजी पुसलख हो तोहर कथी नाओ हव ।? चोकट त थरक उठलख लेकिन सम्हारके उत्तर देलख कि हमराके लोगसब चोकट कहैए । तब फेरु पुसलख कि तोहर कवन गाओ घर हव हो ? चोकट फेरु जबाब देलख कि,घुसुकपुर । तब केवलजी फेनु पुसलख कि,केनेकेने अएला ह ? तब चोकट बोल्लख कि,हमअपन बउया रघुबंस आ सुबन्सके सतराबासमे बरना कराबे आएलबारी । केवलजी पुसलन कि,भरना होगेलौ ? चोकट उतर देलख कि ह होगेल । केवलजी कहे लागल कि असा त दुनु लइकाके खातिर एक मन चाउर आ तिसगो रुपैया हर महिनामे देबे सकबहु ? चोकट बोल्लख कि,काहेन । तब केवलजी कहलन कि हो चोकट चौधरी तुत बरा हि अवगर बिझाइत  बरा हो 

उ बात सुनके झटसिन महन्थ  बोले लगलन कि,चोकट पहिले निमन धनिक रहल ह । यि सोरहे बरिसके उमिरमे अपन सबकुस धन दवलत दारुके पियाइमे बरबाद करलेले रहलन ह लेकिन धनके येकर मेहरी कुलबन्ती नामके जनना बा जे खराब रस्ताके अधेमेसे घुमाके निमन रस्तापरमे परिबरतित होगेल । अब त समपन्नताके सिखरके ओरी बहुत तेजिसे बरह रहलबा । चोकटके घरके हि न बलकी समुचा थरुहटके महिला समाजमे मरियादित कुलबन्ती एक अबतारके रुपमे मानल जाइत हौव आ सकसात सिता आ सबितरीके समान पति बरता परतापी भी हौव हो । केवलजी महन्थजीके समुचा बात सुनलेलाके बाद बहुत खुसी भेलन आ मुस्काए लगलन बोलेला लुसफुसाए लगलन अब त कुसमुसाए लगलन आ हँसहँसके कहेलगलन कि,ओ चोकटजी अपनेके घुसुकपुर गाओके नाम बदलके हम अचलपुर नाम धदेहब कहके हसे लगलन ।चोकट बोलल कि सरकारेके जइसन मरजी । केवलजीके करबी बोली आ बहुत उदार हिरदय देखके अब चोकट कुस ढिठागेल एकरो मन मिठा गेल यि हो तनका हसे लागल,केवलजी मनमे बसे लागल । तखुनिये मुहजोर पन्जियार चोकटके बाग पकरके ओसरामे लेआएल आ कहे लागल कि सुनी चोकटजी हमरो लइका सतराबासमे परहेला । हमार घर परसा जिलाके मुसइली गाओमे बाटे । केवलजीके गुन अउर मरयादाके बतिया तनिमनी हमहु जानीले सुनी हम सुनावत बानीः-केवलजिके बानीमे तनिमनी करुआपन बाटे लेकिन करमठता आ उदारता अउर स्वामिकताके परतिक बार न । अबिबिधता,मुरखता अउर दुरबेसन जइसन महारोगसे थरुहटके थारु समाज निरधन आ खंखर हो गैल रहे । थारुसब बेहाल रहे लुटके सभे नेहाल होगैल रहे । थारु भाइ लोग बौयाइत रहे आ सभे सौयाइत रहे,तैइयो केकरो बात ना बुझे एकरा तब किसियो ना सुझे । सभे थारु समाज पतनके ओरि अगारी बरहल चलजाइत रहे ।लेकिन महा परभुके एक अंस आ परतिनिधीके स्वरुपमे केवलजीके अवतरन अन्धकारमय यि थरुहटमे दियाके समान भेल बाटे । अपन करमठ अउर साविक्ताके परखर इजोतसे केवलजी थारुहटके परकासमय बना देलन अउरी थरुहटके दुनिया बसा देलन । साथ हि बिध्याके परचारके दवारा मरयादित थरुहटके मुल रितत्वके भी अमर बनादेलन ।

         मुहजोर पँजियारके यी बात सुनकर चोकट बहुत परभावित होगेल । केवलजीके परती चोकटके भी अत्यधिक सरधा बढ गेल । अउरी केवलजीसे ढिठागेल । चोकट लजएते धखएते केवलजीके लगे आके पुसलख कि अपनेके उमिर कतेक होइत होइ ? तब केवलजी चोकटके उतर देलख कि हो हमर त जलम पतरिका त नइखे तैयो हमर कका बबा कहैइय कि,हमर जलम १९६५ सालमे भेल बा । चोकट आब केवलजिसे ढिठ होगेल आ बोलल कि सरकारे त थारु जातके कुलदेबता बारन लेकिन पितहबा देबता बारन । सुनकर केवलजी कहे लागल कि,जाहे मरदे तु त बरा बुरबक बुझाइतसा हो अइसन अनहोनी पद देके तु हमराके परभवित करेके कोरसिस करैत बरा मरदे,अैसे न न बोलेके हो चोकट चौधरी सतराबासके काम सुध गेलासे चोकट अब अपन घरे आए खतिरा तेयार होखे लागल आ बोलल कि,असा त अब घटिबरही माफ कएल जावो आब हम घरे जाइत बारी । तब चोकट गोर लगी कअ ओके उहबासे बिदा होखे लागल कि,झटसिन केवलजी कहे लागलन कि,सुसाझे बुझाबे लगलन आ चोकट आजु रहे खातिर बिलमाबे लगलन कि हो चोकट आजु तु  रह जाअ । सतराबासके बर बेबस्थाके देखिहा आ सबेरेके साझके परथना सुनिहा आ लइकासबके चालचलन देखलिहा । बात सुनके चोकट बोलल कि,घरे बहुत बिगरत हैइ ह चलियजैती त असा रहैत ह । चोकटके बात सुनके केवलजी फेनू बोलल कि,जाहे मरदे एको दिन न तोरा घर सोरल जाइसोअ कहके उ मुसकुराए लगलन,लजाबे लगलन आ बिलमाबे लगलन बिचरा चोकट त लजा गेल आ बहुत  जोरसे सरमा गेल लेकिन यिहो हसे लागल आ रात रहगेल । तब त चोकट केवलजीसे अउरी ढिठागेल केवलजीके पहिचान गेल सभेबात जानगेल,अब चोकटके दिल भी मान गेल । केवलजीके अति कोमल हिरदय देखके चोकट अब त खुसीके मारे गदगदाये लागल मनमे बात लदभदाय लागल,बोलेले लुसफुसाय लागल आ बराजोरसे  कुसमुसाए लागल ।

    केवलजीसे बोले खातिर चोकट बहुत कोरसिस करे लेकिन एकरा कवनो बाते न मिले,बिचरा कथी बोलो,किसियो सुझबे न करे आ न बोल्लासे मन बुझबे न करे,चोकटको केवलजीसे न बोल्लासे रहल जाइत नरहे । अब त बरा जोरसे कुहरैत कुसुरमुसुर करैत बोल्लख कि असा हम सरकारसे एगो बात पुसेके चाहैत बारी ? चोकटके बात सनके केवलजी तुरन्त कहलख कि कहा न हो चोकट हमरासे कथी पुसेके चाहैसा ? तब चोकट बोलल कि,सरकारके घर कहाँ भेल ह ? केवलजी जबाब देलख कि हमर घर रौतहट जिलाके अमतबा भवानीपुर गाओमे बा । चोकट पुसलख कि सरकारके बाबुके नाओ कथि भेल ? केवलजी जबाब देलख कि हो मरदे हम त अपन बाबुके त कका कहैसियो हो । हुनकर नाम भदइ खाँओ हइ । यि बात सुनते मातुर चोकट अकचका गेल आ हकचकाइत फेनु पुसलख कि जा यि कैसे भेगेल अपने चौधरी बारी आ अपनेके बाबु कैसे खाँओ होगेलन । चोकट फेनु बोलल को ओहो असा अब त हमहु बुझगेली । अपनेके दाइ चौधरी घरनाके बेटी होइहन,ओहिसे अपने चौधरी बोलैसन । चोकटके बात सुनतेके साथ केवलजी जोरसे ठटाके हसे लगलन कि चोकट त अकचका गेल अब त चकमका गेल आ एकर मन भी धकधकागेल । बिचरा चोकट सोचे लागल आ अपन मनके खोसे लागल कि,बाफोबाफ हमरासे कथी बोला गेलैइ ह जे ठठा मारके हसैत बारन हे भगबान । हसैत हसैत केवलजी बोले लगलन कि,जाहे चपाट कौना मुलुकके बरा हो मरदे ,मतारके घरनाके उपाधी कैसे बेटाके मिलतै ओ जी,जा तु कैसन चकनर चपाट बरा हो हमर मतार त बरा जिलाके मौरा राय आ भोला रायके खनदानके बेटी हैइ हो चोकट । फेनु केवलजी बोलल कि ओ जी,हन कैसे चौधरी भेगेल बारीसे बात बिरतान्त हम तोहराके सुना देइतसियो । ओरिया लदीसे पसिममे सभे थारुके बाजी लोग महतो कहैसइ आ रौतहट जिलासे परब सभे बाजी आ पहारी लोग थारुसबके चौधरी कहैसैइ । सम्बत १९९७ सालसे पाँच सात बरिस तकले हम गौर बजारमे गोला खोल्ले रहली । तभीसे सभे बाजी आ पहारीसब मिलके हमराके चौधरी कहे लागल । आ कहते कहते हमराके सचोलेखा चौधरी भी बनादेलख । अब त सेहो थर सेरेस्तामे भी आ सरकारी कामकाजमे भी चौधरीय लिखाए लागल हो मरदे चोकट । आब तु बुझला कि न हो ? चोकट बोलल कि ह हम बुझ गेली ।अब त केवलजी मुसकुराए लगलन आ चोकट भी खलखल हसे लागल ।दोसरका दिन केवलजी चिरन्जिबीजी आ महन्थजी समेतके गोरलगी कके चोकट अपन बैलगरी जोतबा देलख आ बिरगंजसे घरके ओर चल देलख । असा अब तिनदिनके चोकटके घरेके हाल समाचारके ओरसिपोरसिया भी ध्यान देबेके चाही । कुलबन्ती ढिल तकबाबेके खातिर कहियो कहियो भकरबाके अङना चलजाए आ मुर थकराये आ मन बहलाए आ पुरब पसिमके कवनो बात काथ भी सुने आ सुनाय । एक महिना पहिलेके बात ह कि कुलबन्ती एक दिन भकुरबाके बेकतसे ढिल तकबाबे खातिर ओकर अङनामे गेल आ अङनामे बैठल रहे । एतनेमे अरोस परोसके एक दुगो जनीसब भी आकेसाथमे बैठगेल । भकुरबा आ चोकटमे खास कवनो नता न रहे तैयो गाओ घरके समबन्धसे भैयारीके नता माने । चोकटसे भकुरबा एकात बरिसके सोट रहे तेहिसे कुलबन्ती भकुरबाके बेकतसे सोट देयादिनके नता माने आ यि बात सभे जाने । 

भकुरबाके बेकतके नाम लखपतिया रहे । तब लखपतियोके रमेसबा आ सुरेसबा नामके दुगो बेटा रहे । रमेसबाके दस बरिस आ सुरेसबाके सात बरिसके उमिर होगेल रहे । दुनु सवरा खेलइत खेलइत अङना आएल । रमेसबा आ सुरेसबाके नाक आ ओठमे त पोटाके पुरान खरन खरकटल बैठलरहे । आ नाकमे खोटराही अइठल रहे । आ मैलमे मैल जमा आ भगबामे दुनिया चिलर बैठलरहे खोटराहिके मारे त नाकके सेद मुनागेल रहे आ बहुत पतरे सेद खाली बाचल रहे । उहे दने दुनु बउया मोसकिलसे सास खिचे आ सोरे आ रहरहके आख मिचे आ बराजोरसे सिके । लुल्हुयासे पोटा पोस्ते पोस्ते गाल आ लुल्हुयामे त पोटाके खरन जमके लाल लाल दराद फाटगेल रहे । उपरसे मासी ढिनकइत रहे आ देखला पर मन भी भिन्कइत रहे । गतर गतरमे जही तही मइलके चकता जमल रहे आ बउया त अपन खेलमे रमल रहे । तब रमेस आ सुरेसके दसा देखके कुलबन्ती दुनु सवराके अपना लगमे बोलाके बैठालेलख आ सोट देयादिन लखपतियाके गरियाबे लागल आ मयाके मारे धरियाबे लागल कि गेहे फुहरी लइकासबके काहेला अैसन दसा कैले बारही गे हे । अैसन फुहरापनसे त लइकानसब न रोगियाह होजतउ गेहे ढहलोलबी । जा तु कैसन अदमी बारहि गेहे कहके कुलबन्ती झटसिन पानी लेयाके खुब निमनसे सभे धोअ धाके दुनु सवराके साफ सुथर बना देलख आ चानी लेखा चमका देलख आ सिसा लेख झल झल झलका देलख । अब त दुनु सवरा बाभनके लइका लेखा बुझाबे लगलख तनको न चिन्हाय आ अब जोरसे सास फोफियाके फोफियाके फेरे लगलख । बाफोबाफ लइकासबके नाक बहुजत दिनसे मुनाएल रहे आ बुझाबेकी जे घुनियाल रहे । आब देख त गेहे फुहरी तोहर दुनु लइका केहन सुथर लगैत हौउ,कैसन जोरसे झलकैत हौउ आ अब तनको न महकाइत हौउ न त खेखसाइने महकाइत रहलौउ ह । यि सब बोलके कुलबन्ती फेनु बोलल कि लइकाके सेबा करही कैसन लइकाला बेहाल भेल रहलु ह । जा तु अैसन फुहरी बारु ह जेअ सभे थरुहटके सिकाइत करा देलु ह थुक तोहर दनाइके ?

                                लखपतिया झगराहनी आ गलठोरहिया भी रहे लेकिन जेठ देयादिन कुलबन्तिके यि बार बरा आदरके साथ येकर बातके जबाब न देलख,काहेकी कुलबन्तिके मयाके गारी आ सिखनतके बात खुब माने । लखपतिया अपन देञादिन कुलबन्तीके दुलारके गारी सुनके रबसे लागल आ हिहिआइत हसे लागल । अब त सवरासबके साफसुथर देखके लखपतिया टिहुक टिहुकके झहनाबे लागल आ जोरजोरसे ठहनाबे लागल कि यि भोपरुयाके बेटासबके केतनो करिहन फेनु जैसनके तैसन हो जैतहिन ये दिदियान । कुलबन्ती बोलल कि सी सी अपन पुरुखके भोपरुया न नु कहेके चाही गे हे पाप न लगतौउ । तब सुन्तेके साथ लखपतिया खिसियाके बोल उठल कि ए हे हे उ मुहझौसा कवन सपुत बा कि ओकरा गरिएलासे हमरा पाप लागी उ मुहझौस रोज रोज दारु ढोकलेइये आ सुरसुर नाक बजाइत रहैए आ ओकरो नाक त बराबर सरबते रहैसै आ कहिना न होकर नाकसे पोटा सुखे । जेकर बाप ओइसन तेकर बेटा कैसन लखपतियाके गारी बात सुनके कुलबन्ती त दङ परगेल कुलबन्ती झटसिन बोलल कि असा असा अब चुप रह,अैसन बोली हमरा न सुनल जाइत बा ह । तब कुलबन्ती कहलख कि हमर लसमीके बाप ओतना बिगर गेल रहे माने हम कहियो न गारि बात कहली ह । कुलबन्तिके कहल बात मानके लखपतिया चुपचाप होगेल आ हिहि हसैत बोलल कि,ये दिदिया हम साचो न कहैत बारिअन ।

                       थोर देरके बाद कुलबन्ती बोलल कि, पुरनका जुगमे बुरह परनियासब अपन बेट नातीके बहुत सुन्दर नाम रखैत रहलै ह । रामकिसुन राय,गोपालचौधरी ,रामजिबन पन्जियार,हरगोबिन्द फौजदार आ हरनाथ धामी,जगरनाथ खाँ यि सब कैसन निमन नामसब रहलैह गेहे लखपतिया बिचिला जुगके पुरनियासबके नामे न जुरलइ किगे जेअ भकुरबा मरकुरबा नाम अपन बेटासबके धएले है ह । बोलते बोलते कुलबन्ती तनका मुस्का देलख कि अब त लखपतिया आगसे बौला होगेल । बरा जोरसे चनचनाबे लागल आ रहरहके गनगनाबे लागल अब त हाथभाज हाथ भाजके ठहनाबे लागल । लखपतियाके करोध देखके परोसियासब सम्झाए बुझाएके कोरसिस कएलख लेकिन तैइयो न उ मुह मोरे अब त अउरी उ लागल हाथ झकझोरे लागल तब हार पासके परोसिसब उहबासे ओकरा सोरके अपन अपन घरे चलगेल । आ कुलबन्ती भी तन्का अलगे टर गेल अब त लखपतिया अउरी खिससे जर गेल । लखपतिया अब त हाउ हाउ करे आ कुतासब अलगे झाउ झाउ करे आ अपनेमे लराइ करे । आ कौवासब भी सान्हीमे जमा होके काओकाओ करे । 

          यि हल्ला सुनके कुलबन्ती बिचारी डेरागेल एकरो मन हेरा गेल,अब त यि कुस बोलबे न करे,एकर पपनी हिलबो न करे,लखपतियाके यि हल्ला सुने अब एकराके तनको न गुने तब कुलबन्ती अकचका गेल अउरी चम्भकागेल आ अब त थकमका गेल । बिचारी सोचे लागल कि मार बरहनि धके कहासे कहा बोलबो कैली ह,काहेला येकर अङना अैलिह का हमर मनमे भेल जे अैसन बातसब उठैली ह । अब त लखपतिया घरघराबे लागल आ खुब हरहराबे लागल आ अउरी तरतराबे लागल । जोर जोरसे कहे लागल कि तोहरे मरदाके नाओ निमन हौउ । चोकटा भोकटा फोकटा कोकटा यि नाओ बरा निमन  हौउ ।अपन गोरके बिस्टा देखही के न अनकर गोरके ताल देखके हसैत बारन ।जब लखपतिया तनका अथिराएल ह तब कुलबन्ती बोले लागल कि,गे हे लखपतिया हम निहोरा करैत बारियौ आब चुप होजो लोगोसब सुनतौउ त हमनिके कथी निमन कहतौउ सि सि दुर दुर करतौउ गेहे मुहजोरबी हमरासे गलती बोलागेल आब तु हमराके माफ कदेअ ।

कुलबन्तीके मिठ बचन सुनके लखपतिया ठन्ढागेल । आ चुपागेल तब कुलबन्ती तुरन्ते उठके अपना घरे चल अएलख । कुस दिनके बाद कुलबन्ती फेनु ढिल तकबाबेला लखपतियाके अङनागेल लखपतिया उअपन मुर थरकबाइत अङनामे बैठलरहे । कुलबन्तीके मुरिके औठिया केस डारसे निचा तकले लटकल रहे पिटके तोपले हल्का हल्का उधियाइत रहे । तिन लइकाके मतार आ एकतिस बरिसो उमिरो भेलापर भी कुलबन्तीके सुन्दरता जैसनके तैसन बनल रहे । सुन्दर पातर नाक हरिनके लेखा आँखके करिया करिया भओ ,अनारके दना जैसन चमकैत दात,पातर ओठ,गोरहर लाल लाल सेओके जैसन कोमल गाल,नाकमे सोनाके खोपरा जैसन खोटिला आरु माङमे लाल रङके सेनुर,कपार पर करिया टिकुली कुलबन्तीके अत्यन्त सुन्दरतासे सोभाएमान लगैत रहे । कुलबन्ती अति सुन्दर मुहके अभाबमे सुरुजके किरन टकराके भकुरबाके अङना  इजोत कदेलेरहे आ बहुत सुहावन लगैतरहे । 

              कुलबन्तीके गरगहना त एकर पतिदेब दारु पिआइके चलते पहिलेही बिकागेल रहे फिर भी गहना असइतमे भी कुलबन्तीके गरगहना पेन्हेके बिलकुल सरधा न रहे । बिचारी हसुली आ कुन्डल तक कहियोन पेन्हलख माने उअपन गटामे हरिहर रङके दुचारगो चुरी पेन्हले रहे । हलुक गुलाबी रङके सिट कपराके झुला आ धोया नैनसुतके लुगा कुसुमके फुलाके रङमे रङाके गमकइत रहे । यि हे सुभअबरमे भरकुरबा सुरसुर नाक बजाइत अङनामे आजा न कि,कुलबन्तीके अनुपम सुन्दरता देखते मातुरके साथ भरकुरबा ललचे लागल आ बराजोरसे मल्से लागल । बिचरा लगेमे टहलैत रहे एकर मन खुब मन खुब बहलैत रहे । आब त एकर मन टिसटिसाबे लागल बरा जोरसे बिसबिसाबे लागल । बिचरा रहरहके अपन जमाके बटम लगाबे आ कखुनियो खोले कखुनियो मरदानिके फरा कसे,कखुनियो मनेमने हसे । 

        कुलबन्ती कुसुमके फुलामे रङाएल लुगा लगएके चलते कुसुम फुलके गमक भकुरबाके सुरसुर नाकमे भी ढुके लागल बरा जोरसे हुरके लागल,एकर मन तनको न बुझे,पाप धरम किसियो न सुझे ,कखुनियो यि सुसकारी पारे आ कखुनियो त टोकारी पारे रहरहके अइठैत रहे,केनहु न सहटुलसे बैटे सिलमिल करे काहेकी कुलबन्तीके लगे बैठे खातिर एकर मन सटपटाइत रहे । आ बराजोरसे अटपटाइत रहे लेकिन बैठो त कैसे बैठो,कुलबन्तीके लगे त बाघिन लखपतिया बैठल रहे । तनको भङेन परे भकुराके मन त कसमस करे आ लखपतिया त कुलबन्तीके मुरी थकरैत ढिल तकैत रहे । आ उ त तनको न टसमसाए,केन्हु उठके उ जाए, आ भकुरबाके सटपटि ओकरा तनको न बुझाए बिचारी लखपतियाके ध्यान त कुलबन्तीके ढिल ताकेमे रहे । आ ढिलके पकरे खतिरा उहपन आख गराके देखैत रहे उ एनेओने तकबेन करे । कखुनियो झपएबोन करे । तेहसे कुलबन्ती आ लखपतियाके भकुरबाके मनके टिस मनके बिस,मनके सटपटी आ अटपटके बात तनको न मालुम रहे । एकनिके अपन कामके धुनमे रहे ओहिसे ओकनिके किसियो न बोले । यि बिचारीसब त अबतक भकुरबा मनके बात न जाने सकल रहे आ न भाफे हि सकल रहे । भकुरबा अपन सरबइत सुरसुर नाकके सरिया सरियाके सेकुराबे आ कखुनियो त अपन देहके बरा जोरसे केकुराबे खातिर एकर मन खोचिआबे अब त यि बोले कि चाहे लेकिन एकर मुहसे बकारे न निकले । बिचराके बोलेला तखुनी कवनो बाते न मिले । अब त करोसे कथी करो कवनो उपाय भी ना मिले न सुझे । आ ओकर मन भी नबुझे । अब त भकुरबा अपन चपचपाएल मनके मसमोरके भकुयाएल बैठलरहे । कुसदेर बाद त यओकर मन भी ठकुया गेल कखुनियो कपस उठे कखुनियो सिहर उठे ।

        भकुरबा अैसन सुन्दरता कहितोन देखले रहे । कुलबन्तीके कनझटके बराबर देखे लेकिन अैसन समथिरसे कहियोन देकले रहे । कुलबन्तीके सुन्दरता लतिके समान भकुरबाके गतरगतरमे बेध देलख आ रोमरोममे तिरके समान सेत देलख । अब त भकुरबा कठपुतली बनगेल । एकर मन त कसमसाय लागल आ बरा जोरसे  सटरपटर करे  लागल । बिचरा थरथर कपैत मनके मसमोरैत आ अपन देहके घसमोरैत सटले ओसरामे गोर लटकाके बैठगेल बिचरा उठिना बैठेला त बैठगेल लेकिन बिचरा भितरे भितरे अैठ गेल । आ अपन सरबैत सुरसुर नाक घरी घरी सरियाबे आ अपन खेकुचल ओठ कोचियाके अब त भकुरबा बोल उठल कि,कहु भउजी हाल चाल ? कुलबन्ती भकुरबाके बात सुनके गम्भितासे जबाब  देलख कि सब निमने बा । कुलबन्ती अपन केसके हटाइत भकुराके ओरी देकके ओकर मनके बात तनिमनी बुझ गेल तब कुलबन्तीके भी कुस सुझे लागल । तब कुलबन्ती अब त दम साध लेलख आ उअपन पलक गिराके मुर थकरबाए लगलख ।

           कुलबन्तीके मिठ बोली सुनके अब त भकुरबा सहम गेल एकर अउर मन भरम गेल । उ  त आउर भितरे भितरे  खुसी होखे आ कुलबन्तीके मन आब लागल जोखे । भकुरबाके बझाए कि अब कुलबन्ती हमर बात मानजाइ आ जहा बोलाएब उहबा आजाइ यिहे बात भकुरबा सोचे आब त बहुत खुसी होखे लागल आब त एकर मन त आउर लागे लागल अब त भकुरबा अपन मनमे अन्हार होके सुर सुर नाक सरियाइत उअपन ओठ कोचियाइत कहे लागल कि लइको भेलापर रउरा बहुत सुथर बारी ओ भौजी,बिधीके बरहमा अपनेके कैसे येतना सुथर सिरजना कएलेबा । अपनेके ओरीया हमरा त देखही देखहीके मन करैए हो भौजी ओकर अैसन बात सुनके भकुरबाके बोह लखपतिया अब त बाघिन लेखा ढकरैत बोल उठल कि चाटियो न ला कहके हिनहिनियाबे लागल आ  कहे लागल कि यि चरखफुटा के त हमरा देखल न जाइए एकर बोली न हमरा सोहाइये न कैसन येकर बान है,आ येकर बोलीके ठेकान है सैइ सरदार भौजाइसे अैसे कहतै ह अब  त हम मरेके आटब आ येकराके बरहनिसे झाटब । यिहे बातसब गरज गरजके बोलइत अबत बराजोरसे खिसियाके खरा होगेल आ हात भजे लागल आ अपन पति भकुरबाके गारी देबे लागल कि यि मुहझौसा  हमरा असइत कैसे सैइसरदारके अइसन बात कहलक ह । भकुरबासे लखपतिया बरियार रहे । आ होसियार भी रहे । ओहिसे अब त भकुरबाके कल्ला खुलबे न करे बिचरा सोझे मुर गारले बैठल रहे,न कुस बोलबे करे आ न कुसमुसएबे करे । कुलबन्ती अलगे टुकटुक तकैत दमसाधके एकनिके लिला देखइत आ सुनैत रहे ।

अब त लखपतिया हाउहाउ कके भकुरबापर सुटल आ कहे लागल कि भगा न त चुनफुटे न त बरहनियसे झाटे लागब जा तु कैसन पपियाह बरा । अबत भकुरबा अपन मौगीके भारी डाट फटकार सुनके अपन मनके मसमोरइत अइठैत डोइठैत आ सुरसुर नाक बजाइत बिचरा अङनासे निकलेके दुराके ओरी चलगेल । लेकिन अब त उ कुलबन्तीके बिसरबेनकरे । आ ओकर मनमे कुलबन्तीके मला जपाए लागल । कुलबन्तीके खातिर भकुरबा अब त हरदम सटपटाइत रहे एकर मन चटपटाइत रहे,आ रहरहके झटपटाइत रहे । तनमन आ धनसे सब उपाए करेकी उहोसे कुलबन्तीसे मया बस जाए लेकिन भकुरबा सभे उपाए कके हार मानगेल काहेकी तैइयोन कुलबन्ती एकरा हाथ लागल । बिचरा अब त दारुके निसमे भी कुबन्तीके तनको बिसरयबे न करे हरदम सिलमिलाए ।

         कुलबन्ती भारी पतिबरती भेलासे भकुरबाके कवनो उपाए लगबे न कएलख । बिचरा रात दिन कुलबन्ती ला तरपैत रहे । होरिके दिन फिचकारीमे रङ भरके भकुरबा दौउरैत कुलबन्तीके अङना ढुकगेल । आ कुलबन्तीके सातिपर रङसे भोथ देलख आ सुनसान घरमे ढुकके कुलबन्तीके अचरा भी पकर लेलख आ कहे लगलख कि भौजी आजु हम न मानब भौजाइ त बदेवरके अधा मेहरारु होखेले भौजी हमर बात मानु आ हमरोके अधा दुलहा बनालु । मातल भकुरबाके अइसन पापके बात सुनके कुलबन्ती झटसिन हाथमे करसुल उठाके कहे लागल कि,खबरदार अगारी न बरिहा ! न त हम तोहर मुर फरदेबो । जाहे पापी अधरमी कहाके ! भउजी त देवरके मतारके समान होखेले । लसुमन सिताजिके केतना सरदार मानइत रहलै ह । कुलबन्तीके लाल लाल आख आ बहुत कोरोधित देखके बिचरा भरकुरबा भकसिन अचरा सोर देलख आ अपन मन मोर लेलख । आ थरथर कपैइत तलमलाइत अपना घरे चल अएलख ।

            थोरके दिनके बाद चिन्ताके मारे भकुरबाके जर लाग गेल बहुत तेज बोखारके कारन बेहोस होगेल आ बेहोसोमे भी कुलबन्तिके नबिसराए ओहिसे भकुरबा कुलबन्तिके बारबार भउजी भउजी कहके बोलाइत सटपटाइत,सिलमिलाइत भकुरबा परलोक चलगेल । कुलबन्तिके सुन्दरताके बेदीपर भकुरबा बलिदान होगेल । उहे दिन दु तिनगो बाजीके सवरासब घास गरहैत रहे । घस गरहनिसब बोले लागल कि अपन दिलके बात खोले लागल अब त कहे लागल कि गेहे भकुरबाके हत्याके पाप एक दिन न एक दिन कुलबन्तिके जरुरे भोगेके परतैइ । दोसर जने बोलल कि ह ह गे तु ठिकेमे कहैत बारे अगर भकुरबाके बात तनिमनी मानिए जइतिइ त कुलबन्तिके कवन बरकी हसारत होजइतिअइ । दुनियामे जुवान सवरा आ सौरीके जब जब भेट होइ तब तब एक दोसराके देखके ललचबे न करी । मनमे कसकसे उठबे न करतै आ डारमे लचक होएबे करी । यि त भगबानके देन होखेले । यिमे केकरो बस न चलेला निमन समाज खन्दानी परिवार आ ग्यानी होसियार माइ बाप आ भाइ भेला पर भी मोसकिलसे सयमे दस,बिस जना सवरासब आ सौरिसब दुनियामे असुत बाचल होइ । आगी लगे घिउ रहित पघिलबे करी आ सिधरी लगे बिलाइ सटपटएबे न करी यि त परकिरतिके देन होखेले । तब तिसरकी घसबहिनिया बोल उठल कि,कुलबन्ती अपन रुपके घमन्डमे फुलल रहले आ खाली चोकटके सङमे हि ढलल रहेले । दोसर ओरी तकबे न करे आ केन्हु झाखियो न पारेलेअ । आखिर ओकर रुप आ जबानी कबतक रही एक दिन न एक दिन बुरहिया होके मरजाइ आ माटिमे मिलहिके परी । पापिन कुलबन्ती बहुत जिधियाहो न है । आ हटकिनी बादनी भी बा जब ओइसन रुप दुनियामे केकरो काम न लागल तब धिकार ओकर रुपके आ थुक ओइसन जबानीके ? उहे बखतमे उचक्का हजाम अपन बारि पर टाटके अरात होके पेसाओ फिरैत रहे । आ घसकटनिसबके सभे बात चुपेचापे उचका हजाम सुन लेलख आ सुन्ते मातुर खिसिया गेल आ पितके मारे थरथर कापे लागल आ घसगरहनिसबके बातसब अकाने लागल आ अकानके अबत उहो जान गेल । तब उचका हजाम उठके रिरिआबे लागल आ जोर जोरसे चिचिआबे लागल आ तोतराइ कहे लागल कि,गे गे गे सिनरीके बेटिसब तो तो तोहनिके जवने तवने सवरा पिठिअतौउ तब तोहनिके ओ ओ ओकर बा बा बात म म मान लेबही का 

         उचका हजाम ठाकुरके बात सुनके सभे घसगरहनिसब बरा जोरसे हहा हाके हसे लागल आ डेलामे घास कसे लागल । अब त सभे घसबाहिनीसब एकमुधी होके कहे लागल कि ह ह हमनिके त मान जबै न त कथी गे तोतरहबा बुरहबा । अब उचका हजाम ओकनिके अइसन पापके बात सुन्ते मातुर जोरसे करकराबे लागल,डङका लेखा गरगराबे लागल आ मेघ लेखा तरतराबे लागल आ कहे लागल कि सि सि सिनरोके बेटिसब जा तोहनिके लाज कहा चल गेलबा ध ध ध के तोहनिके मु मु मुहमे लाठी को को कोच देहब ह । उचका हजाम ठाकुरके खिसियाएल देखके ओकनिके उठिनासे उठके सभे घसबाहिनसब टकोर देलख लेकिन गाओके लोग आगेल आ सभेजना जान गेल आ सभेके मन मानगेल की,कुलबन्ती बरा भारी पतिबरती बा आ बहुत हि कुलिनके साथ साथे धरमतमा भी बा कहके सरा गाओके लोग जाने लागल । आ कुलबन्तीके परसन्सा घरघरमे होखे लागल । नित दिन पति बरता आ धरमतमा कुलिन्ता सतीबरताके बरनन होखे लागल आ हरेक घरके चाहे मरदना होखे चाहे जनना सभेके मुहमे बात निकले कि जनानी बा त चोकटके बोह बा कहके कुलबन्तीके पुजनापुजाए लागल आ अरधना भी होखे लागल । 

जब चोकट बिरगंजसे लवटलख तब घरे अएला पर कुलबन्ती आ भकुरबा पर बितल बात गाओ घरमे कन्झटके सुनलेलख । तहियासे चोकट अपन धरम पतनी कुलबन्तीके बहुत आदर करे लागल । बउया चोकटके अब त दिनानु दिन दिन दुना रात चौगुना होखे लागल । धन बित खकुब बरहे लागल आ सभे लोग डेराए लागल आ बभनोसब जय जय करे लागल । चोकटके धरम पतनि कुलबन्तीके सतिबरताके पुन्य परतापसे सब दुख भग गेल । आ तिन सय मन धान भी लगानी करे लागल । लेकिन तइयो मोसब्बर साहके पटबरकी करते रहे ।  मोसबर महाज बहुत मयार हएलासे चोकट भी हुनकर कार धन्धा बहुत इमानदारके साथ करे कहेकी चोकटके भी त हुनकरासे बहुत अमदनी रहे । २०१० सालमे रघुबन्स गनित लेके मैटरिकमे बोरड पहिलका डिबिजनसे पास भेल आ सुबन्स अठमा कलासमे फस्ट डिबिजनसे पास हो गेल । 

रघुबन्स आ सुबन्सके परहाइ पर परगति देखके केवल जी बहुत हि परभावित भेलन आ एकनिके अपना साथे काठमन्डु लेजाके अपन दोसके घर पर यि दुनुजनाके रखबादेलख । रघुबन्सके तिरचन्दर कलेजमे पहिलका बरिसमे आ सुबन्सके पदमोदय हाइ स्कुलमे नव कलासपर नाम लिखबा देलन । तब चोकट अपन दुनु लइकाके खातिर हर महिनामे १५० रपैया काठमान्डु भेजे लागल । आ केवलजी भी हरेक बरिस एक दु सय रुपैया सहेताके रुपमे कहबोसे न कहबोसे सहयोगी खोजके रघुबन्सके लेल दियाबे लगलन । २०१३सालमे रघुबन्स काठमान्डुओसे गनित बिसय लेके आइ. ए. सी.के पहिलका परिक्सामे पहिलका डिबिजनसे पास होगेल आ सुबन्स भी पदमोदय हाइ स्कुलसे पहिलका डिबिजनसे मैटरिक पास कलेल । तब रघुबन्स त उहे साल इनजिनियरिङ परहेके लेल कोलम्बो प्लानमे नेपालसे सलेक्ट होगेल आ रघुबन्स ताजिकिस्तान देसके रुडकी इनभरसिटिमे इनजिनियर परहेके खातिर चलगेल । आ सुबन्स काठमान्डु कलेजमे परहे लगलख ।

             २०१७ सालमे रघुबन्स रुडकिसे इनजिनियरिङ पास होके ने रु ४५० रुपैयाके तलब पर नेपाल सरकारमे नोकरी करे लागल आ उहे साल सुबन्स भी कलेजसे बि.ए.सि.पास कके एम.ए.सि. परहे खातिर भातरदेसके पटना सहरमे जाके परहाइ करे लागल । २०१७ सालमे रघुबन्सके उमिर एकइस बरिस होइत रहे आ सुबन्सके अठार बरिसके उमिर पुरा होगेल रहे । अब तनि चोकटके हाल बातके ओर ध्यान देबेके चाही । बात यि रहे कि रघुबन्स आ सुबन्सके सादीके खातिर कर कुटुमसब चोकटके बहुत परिसान करे लगलख ओहिसे चोकट करकुटुमके चलते बहुत हएरान रहे । हरेक महिनामे दु चारगो कर कुटुमसबके अबागैस होएते रहे । अब त कर कुटुमसबके जबाब देते देते चोकट अउतागेल रहे । चोकटके कहनाम रहे कि हमर बउया खुदे देखके बिचार कके अपनासे मिलेबला जोग माफिक लरकी पसन्द करी कहके चोकट करकुटुम्ब आबेत कहे लेकिन तैयो कर कुटुमसब चोकटके दमेन धरेदेबे आ ओकरा घरे करकुटुमसब अबागैस करते रहे ।

दु बरिस पहिलेहिके बात ह कि,रुडकीसे गरमिके सुटिमे जब रघुबन्स घरे आएल रहे तब सिरिफ महिना दिनके अन्दरमे लखनपुरसे महेस खाँ,लसमिनियासे पुरन बसार लौकहासे गोबरी चौधरी,बनगाइसे खेखर फनैत, आ माधोपुरसे सिबसंकर राय मिलाके सभे कुटुम दु चारे दिनके अन्तरमे आ आ के पाँच दस रुपैया रघुबन्सके हाथमे फलदान थम्हा थम्हाके चल चल गेल । तब रघुबन्सके गरमी बिदा ओरियागेला पर उ फलदान लेलही फेनु रुडकी चलगेल । काहेकी उ पाँचु कुटुमसब पलहा पलहिसे बारम बार आके रघुबन्सके बियाह करबाए खातिर चोकटके बराजोरसे तङ करे । चोकट बिचारा मनही मनमे सोचे कि बाफोबाफ एगो रघुबन्सके खातिर पाँच पाँचगो कन्यामेसे एगो कन्या कैसे ओकर मोताबिक बिसिअै ह हे भगबान । 

यिहे मोकामे उचक्का हजाम ठाकुर आ जुमलख तब चोकटके बेहाल देकके उचक्का ठाकुर झटसिन तोतराइत बोले लागल कि,हो हो हो चो चो चोकट क क करकुटुमसे न न नअउताएके चाही भा भा भागे बलाके घरमे आ आ आबेलन । तु तु अ अपन आख पसारके देखा त कि केतना थ थ थारु त क क कन्याके लगे सु सुतहुन पएलख आ पु पु पुरनिया होके म म मरके चलगेल । यि बतकहीके गुलगुलफुसफुस सुनके सतर बरिसके घोरहिनिया बुरहिया उअपन लाठी रोपैत रोपैत चोकटके लगेमे आके बाघके लेखा गरजे लागल, मेघ लेखा ढिनढिनाबे लागल आ चिलहोरके लेखा ठहनाबे लागल आ घोराके लेखा हि हियाबे लागल आ कहे लागल कि रे चोकटा तु कैसन अबुझ बारे रे रे भोपरुया कर कुटुमसे न नु औउताबेके आजु न तोहरा पास पचास बिगहा खेत आ पाँचगो बरका बरका बेखारी होलौ ह आ तोहर लइकासब परह परहके बरका बरका हाकिम बनगेलौ ह तब त करकुटुमसब तोहरा कते झमैया परैत हौउ ह । यि गाओमे पचिस घर थारु होतौउ लेकिन गुन बिध्यासे आ धनके बिना चौद पन्दर जना तरतरबा जुयान हो के मोसो जामगेल है ह तैयो न यि चनफुटासबके जिरएतहो कमएला मे न बियाह होखैत है ह । यि निजरबा करमजरबासबके कन्योके कुसुमके रङमे रङाल सुम्हे खातिर सिहैएते बएस ढलुहोके बएस ढलजाइत है । यि भोपरुयासब तन्को तन्को परहल लिखल रहतिएन त ओकनिसबके उ दसा न नु होइतिअै  ह । केकरो गबाही के खातिर सहीसाप करे खतिरा बोलएबा  त भोपरुया चनफुटा थारुके लइकासब अपन अँङुठे सोझिएले अतौउ ह । तिन सेरके कमाइ आ पाँच सेर दारुके पिनाइ तब का पुगो चनफुटबेसब के बियाहके नाओमे खोरनाठी जे होइ । हमरा त कखुनियो मन त करैय कि अनपरह गबार आ निजङरा आ निसबजबा थारुसबके कहिया ग्यान बुधी होतैइ आ बुझतै कहिया बिदवान बनतैइ आ कैसे एकनिके सुधार होतैइ ह हे बरहम बबा । हमरा त एकोगोन कहैत बनैत बा ह । सब बात सुनके चोकट बोलल कि गेहे बुरही दाइ हमहु त पहिले दारुये पिअैत रहली गे, ले न त हमरो मुहमे लाठी कोचन दे त गे दाइ ?

   बउया चोकटके बात सुनके घोरहिनिया बुरहिया बोलल उठल कि,रे बउया तु त कहिया दारु सोरदेले ह असा रे बउया चोकट कुटुमसे तु न अउताबा जहा भवी लिखल होतैन उहबे रघुबन्स आ सुबन्स दुनु बउयाके बियाह होइये जतै ह । तु कवनो बातके चिन्ता न कराअ । उठिने खरा होके कुलबन्ती भी यि सब बात कथा सुनइत रहे पासे चोकट आ कुलबन्ती दुनु परानी खलखल हसे लागल अब त बहुत आनन्द महसुस कएलख आ हसि खुसिसे रहे लागल । 

        सुबन्स भी पटनासे एम ए सी पास कलेलाके बाद सुबन्स फेनु एम एल परहे लागल आ दु बरिसके बाद उअपन परहा लिखाइ सुधाके फेनु नेपाल लवट अएलख तब सुबन्स कानुन परहलाके कारन नेपालके अदालतमे जजके काम करे लागल । थोरके दिनके बाद रघुबन्सके बियाह सपतरिके माधुरी नामके लरकिसे बिजयाह होगेल आ सुबन्सके बुटौलके अनुरधा नामके लरकिसे साथ बियाह होगेल  काहेकी थोरके खरचामे बहुत सुन्दर हि तरिकासे आ खुब सरहनिय आधुनिक ढङसे बियाहके सभे बिधी बिधान ओरिया गेल समापत होगेल । बियाह उतसबमे सास्तरीय तरिकाके सुन्दर काजकरमके साथ थारु लोक नाच भी होएलख काहेकी थारुसबके मवलिक नाच उसमयमे रस पुरबी नाच खुब होखे । उ भी बहुत सुन्दर तरिकासे आयोजना भेल लेकिन बहरिया अकट बकट नाच गानके बिलकुल मनाही कएल गेल रहे । सुभ बियाहमे चोकटके यियार रनधिर सिंह भी नेओतहारीके रुपमे आएल रहस हिनकर सङहाती पंडित लेबार पारे बहुत खुसिसे बिभोर होके गित गावे लगल किः- गितके बोल असलमे गितहर थारुए होला 

जङल काट करे तयारी,घर खेत दुआरीसे बारी,

खेतके बास्ते निकाले,बरका बरका कोला 

हसली गितहर थारुए होला,जोतेला जङल लदिनला-१

धान खेति करे सारो सरिहनके,उबज उबजाबे मुलकनके

दामे दौनी पवनसे उराबे भुसा,ढेरी लगाबे सुपेए सुपा

हसली गितहर थारुए होला,जोतेला जङल लदिनला-२

यि न करे दोसर काम,करे खेती लगाबे दाम

मेचीसे महाकाली पुगाबे धान,खेति कके कमाबे मान

हसली गितहर थारुए होला,जोतेला जङल लदिनला-३

बिजनस करेके न लुर,अपन आदतसे मजबुर

किने बेच करे न जाने,भाव करेमे उ न माने

हसली गितहर थारुए होला,जोतेला जङल लदिनला-४

जहबा जाला उहबे भङला,जहि तही उहे ठगला

अपन देके बुरबक हो जला,थारु जात कैसन भोलाभला

हसली गितहर थारुए होला,जोतेला जङल लदिनला-५

लिखपरहके जब बनीहन बिदवान,तबहो लोगबा सोरी न जान

तबतक लोगबा ठगते रही,यि लिला जबतक चलते रही

हसली गितहर थारुए होला,जोतेला जङल लदिनला-६

गितके लेखक; हरिचरन परसाद

बियाह उत्सबके खुसियालीमे सभे नेतहारी आ चोकटके सबपरिवारके सामने बाबु रन्धीर सिंह गरज गरजके थारुके संस्कार सन्सकिरती आ दैनिक कामकाजके पुरा बखान करैत गित गाबे लगलन किः

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात ।

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा ।।

जेठवनमे जरिजरिके भादोमे सरिगलिके ।

मलेरियासे मरि मरिके कैसन उबजा उबजवले बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा -१

खेतवनके जोतेमे तनिको अउताबे ना ।

दोहरी पटौनी बिन,इनके मन भावे ना ।।

कैसन तैयारी बनौले बा कोलबन के ।

कचि कचि जो हरियनके सुन्दर अरिऔलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-२

जोतत कमाबतमे तनिक ना उदास होत ।

बैलबन टोकारी पर भागत बा हगत चोत ।।

लगनी धुन सुनिके बटोहियासब बिलमत बा ।

देखके कुरहाइत बैलबनके अरिओले बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-३

खेतधनके जोतत बा हसि हसि सबजन हिलमिल ।

असचरज बा हमनिके देखिके अैसन झिलमिल ।।

देखि पनपिआइ सबजन डाट करिके बैलबनके ।

अन्दिके भुजा गमसनमे जो परसवले बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-४

नाजी दुधकरिया तुलसी परसाद आ सतराज ।

जटही चेंगौल बासमती अउर दुत राज ।।

जेतना जे किसिमके बाट,धाननके दुनियन मे ।

थोरथार भदइसब सरिहन रोपएलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-५

जबही बरसात गइल धान लह लाहत बा ।

झिर झिर पुरबैया हरा,मखबल बिसावत बा ।।

अैसन हरियाली पर,जबही कुयार आइल ।

मसरी मारेके लदी डबरा ठिकिऔलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-६

आइल दिबाली घर अङना लिपाबत बा ।

केतना जो सफाइ करिके ढुढुर बनाबत बा ।।

घर घरमे लसमी अउर देबतनके पुजा होता ।

सैकरन दियरिया पर बती बरबौलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-७

केहु त भगबतीके केहुत कालीके पुजन करे ।

चरहैत बाटे बकरा कही,बरका दन्तार मरे ।।

नेओत सब देबतनके पाँतसे बैठवले बारी ।

खाअत पिअत हमनिके ठेसनी उलटवलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-८

पाकत बा धनबा तब सिलसिल खरिहान बने ।

लिपपोत चिकन जे बनवले बा सभि जने ।।

धनबनके बाल झुले केतना सुहावन बा ।

कैसन सुन्दर देससोभे,थरुहट बनबौलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-९

होइ अब कटनी नेमानीके दिन ठेकान ।

पन्डित पुरोहित जजुमानके दे बतात ।

इनकर दयालुताके जगमे बखान होत ।

पन्डितके डगरा भर चाउर सरिऔलेह बा ।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१०

काटि काटि धान कसिके बोझबा बन्हावत बा ।

ढोए खतिरा खरिहानमे करबार जे सजावत बा ।।

दुरसे देखा त झकझकात बा ,करबार सब ।

देखी त अन लसमी खरिहानमे बिलमौलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-११

दौनी पर दौनी सिटात जात बा नित दिन ।

घुमत बा बैलबन चरियावत बाटे सिन सिन ।।

धनबा हटाये गोटिआवत बा हनिके ।

सोटका आ बरकासब ढेरिया लगवले बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१२

आइल पसेया बेहार ओसौनि करबावत बा ।

धनबनमे भुसबनसब आ खखरा उधिआवत बा ।।

केतना फुरतिसे चमकावत बा देहियाके ।

हुकी हुकी सुपासे सिली चमकौलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१३

मोटिअन रखबाबै बरका बरका ढेरिन मे ।

मुजेलीसे मेहिया ढुकबावत बा कोटियन मे ।।

अन धन लसमीसे भइलन भरपुर अब त ।

पल्ठी जमाय डटके हुका गुरगुरवलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१४

आइल तिलबा सकराति मुरही भुजा भुजबावतो बा ।

घरघरमे लाइ जे ढकननसे पथबावत बा ।।

अनदना भुखबनके खएलिन दुखियारिन के ।

मसरी आ मास चिचर बन्हिया बनबौलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१५

लाइमुरही नराचोटी देखी अब सनेस जाता ।

माइ बहिन जात बारिन जहबा इनकर बाटे नाता ।।

जहबा यि सनेस गैलह भारी सतकार भइल ।

पहुनिनके देखी कैसन नैनसुख पहिनौलेबा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१६

दसै दिबाली सकराती अउरी होली के ।

सभनी मनाओत बाटे खुब मन खोली के ।।

सठ एकादसी रामनबी आरु बहुत पबनि माने ।

बहुजन हरचालिसो एतबार भी उठौलेह बाटे ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१७

अैसन सिलबन्त जात नैखे बा दुनियामे ।

इनकर सरहना बा होत भारी दुनियन मे ।। 

चोट्टा लफङगा ठग आउर साधु सन्तन के ।

आदरसे सभनीके पेटभबर खिऔलेह  बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१८

इनकाके कायर केहु बुरबक नदान कहे ।

लेकिन खुद अपने बुधिमानीमे यि मस्त रहे ।।

जबजब इनकाके चिरहाय आ दुखाए केहु ।

मारीमारी हुनकाके सक्का सोर बैले बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-१९

सादी बियाहनमे भारी बरात साजे ।

हाथीघोरा पर केहु पैदल मनहिमे गाजे ।।

पुरबी नाचके मिरदंङ रन रनात रहे ।

अब त यि बेदेसिया मौगबनके भी नचौलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-२०

पुरीमिठाइ बहु बेयन्जन जो सनहावत बा ।

तरुया तरकारी दाल पाकेला बासमती भात ।।

हिलमिलके गाली गान गाबै माँ बहिननसब ।

जे बत बरिय तियन सुनी मनबाके हुलसैले बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-२१

सुन्दर स्वालम्बी बिचार थार भैयनके ।

अैसन संस्कार भला सपनामे पैहन के ।।

केहु कहे बौउया, केहु बबा कहके नता जोरे ।

हमनिसे हिलमिलके परेमसे बतिऔलेह रहे ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-२२

बचवनसब परहत बा कितबन बने घरघरात ।

ठगबन आ धुरतबनसबके मिजाज बा थरथरात ।।

मानिहेन थारु अब भिर गैलह परहाबे मे ।

लरकिनके बि ए और एम्मे करबौले बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-२३

केहु बा ओकिल बरा हाकिम कहावत बा ।

केहु त सरकारिमे मन्तरी पद पावत बा ।।

सरबिस सरकारिमे बहुतजन बाटे ।

सुटबुट झार अबत कुरसी पर डटवलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-२४

धन धन श्री केवल,चिनजिबी आ हरिचरन।

मनसे जो महन्थ मिलके कैलन तब नमाकरन ।।

थारु कल्यानकारिनी सभा निरमान करिके ।

रायसब मिलाय जोरसे इजोत जग मगौवलेह बा ।।

धन धन बा थारु जात,जानत नैखे कवनो बात 

इनके कमाइ बा जे बहुतनके जिऔलेह बा-२५

कुलबन्ती दुनु परानी आ अपन बेटा पुतोहके समेत रनधिर बाबुके गित सुनाइत रहे । सभे नेओतहारीसब भी रनधिर बाबुके गित सुनलेलख । जब गित समापत भेल तब सभे जने जोर जोरसे थपरी बजाबे लागल आ बहुत खुसी भेल । चोकट आ कुलबन्ती दुनु परानी अपन बेटा पुतोहसबके साथे अभ त स्वरगके लेखा सुख भोगे लागल कुलबन्तीके मनके मनोकमना आ सपना सभे पुरा होगेल । 

आब किताबमेके कथा समापत होगेल । आब किताब परहके अपनेसब कथी बुझसे हमरा मालुम न बा । हम अपनेसबसे येतने कहेके चाहैत बारी कि यि किताबमे गाओघरमे घटेबला घटनासबके अभि भी बा । हमर यिहे चाहैत बारी कि यि किताबके उदेस बुझगेल होखब कहके असा करैत लिउन अब बिदा होइत बारी । बधन्यबाद गोर लगैत बारी ।








 

 



 

 




 

         














 

          









 

 

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